प्रवासियों को अनुमति देने के मामले में योगी सरकार ने लिया यू-टर्न

Last Updated 27 May 2020 01:58:56 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले की गई घोषणा पर यू-टर्न ले लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि अन्य राज्य यूपी के श्रमिकों को रोजगार देते हैं तो उन्हें अनुमति लेने की आवश्यकता होगी।


इस मुद्दे ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था और अब एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि सरकार प्रवासन आयोग के उपनियमों में 'पूर्व अनुमति' के इस खंड को शामिल नहीं करेगी।

सरकार के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य लौटने वाले प्रवासी कामगारों को नौकरी और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए आयोग गठित करने के तौर-तरीकों पर काम हो रहा है। प्रवासन आयोग को 'श्रमिक कल्याण आयोग' नाम दिया है।

लगभग 26 लाख प्रवासी पहले ही राज्य में लौट आए हैं और उनके कौशल को ध्यान में रखकर उन्हें काम और नौकरी दिलाने में मदद करने की कवायद की जा रही है।

टीम 11 के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री ने आयोग की स्थापना के लिए तौर-तरीकों पर चर्चा की। साथ ही अन्य राज्यों को हमारी जनशक्ति को रोजगार देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की पूर्व अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। आयोग की स्थापना की जा रही है। श्रमिकों को रोजगार और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयारी जा रही है। हम प्रवासियों को घर और ऋण आदि देने के लिए सरकारी योजनाओं से भी जोड़ेंगे।"

योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश वापस आने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों के बारे में पता लगाने के लिए सभी राज्य सरकारों को पत्र भेजा जाना चाहिए।

इससे पहले, मुख्यमंत्री ने रविवार को एक वेबिनार में कहा था, "माइग्रेशन कमीशन प्रवासी श्रमिकों के हित में काम करेगा। अगर कोई अन्य राज्य यूपी का मैनपावर चाहता है, तो वे उन्हें वैसे ही नहीं ले सकते हैं, इसके लिए उन्हें उप्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। जिस तरह से हमारे प्रवासी कामगारों के साथ अन्य राज्यों और देशों में बुरा व्यवहार किया गया, यूपी सरकार उनके साथ है और वह उनके बीमा, सामाजिक सुरक्षा को अपने हाथों में लेगी।"

उनके इस बयान पर कुछ राजनीतिक नेताओं और दलों ने सवाल उठाया था।

आईएएनएस
लखनऊ


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