सीएए विरोधी आंदोलन: रामपुर में सम्पत्ति नुकसान के लिए 25 लाख वसूली

Last Updated 25 Dec 2019 06:12:05 PM IST

उत्तर प्रदेश में रामपुर जिला प्रशासन ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले सप्ताह हुए प्रदर्शनों के दौरान ‘‘हिंसा के लिए पहचाने गए’’ 28 व्यक्तियों को नोटिस जारी करके उन्हें अपनी स्थिति समझाने या सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए भुगतान करने को कहा है।


सीएए विरोधी आंदोलन

पुलिस और जिला प्रशासन ने पूरे जिले में लगभग 25 लाख रुपये के नुकसान का आकलन करने के बाद मंगलवार को नोटिस जारी किए थे। पुलिस ने शुरू में कहा था कि लगभग 15 लाख रुपये का नुकसान हुआ है लेकिन अंतिम आकलन में यह आंकड़ा 25 लाख रुपये पहुंच गया।      

जिलाधिकारी आंजनेयसिंह ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘28 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं जिनकी पहचान विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के लिए की गई है। उन्हें जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसमें असफल रहने पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे धनराशि वसूलने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।’’       

अधिकारियों के अनुसार संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान शनिवार को यहां 22 वर्ष के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी। कई स्थानीय व्यक्ति और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और पुलिस की एक मोटरसाइकिल सहित छह वाहनों को आग लगा दी गई थी।      

पुलिस ने बताया कि रामपुर में हिंसा के सिलसिले में अभी तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक की पहचान की गई है।      

संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें कम से कम 17 लोग मारे गए थे और चल-अचल संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई थी। अधिकतर सम्पत्ति को नुकसान आगजनी में हुआ था।      

संशोधित नागरिकता कानून और पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रस्तावित क्रियान्वयन के खिलाफ उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के कई अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं।      

संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण ली है।

    

आलोचकों का कहना है कि मुसलमानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और देश के धर्मनिरपेक्ष लोकाचार के खिलाफ है।

भाषा
रामपुर


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment