1000 टन सोना के लिए उन्नाव किला परिसर में बबूलों की कटाई

Last Updated 15 Oct 2013 03:32:25 PM IST

हजार टन सोने के भंडार की खोज में उन्नाव के डौड़िया खेड़ा संग्रामपुर में श्रमिकों ने पसीना बहाकर बबूलों की कटाई शुरु कर दी है.


उन्नाव किला परिसर

पुरातत्व और भूगर्भ जांच दलों के अधिकारी श्रमिकों को दिशा निर्देश दे कर खजाने के करीब तक पहुंचने के प्रयासों में जुटे रहे. खुदाई शुरू होने से पहले सारे इंतजाम पुख्ता कर लेने के मकसद में यहां सीसी टीवी कैमरे लगाये जाने की योजना भी लगभग तैयार हो चुकी है. मगर कैमरे लगाये नहीं जा सके थे.

इधर स्वर्ण भंडार की चर्चा के बाद राजा साहब के वंशज बताने वाले तीन लोगों ने भी किला स्थल का दौरा किया और खुद को वहां बसाये जाने की मांग रखी. इन कथित वंशजों ने स्वर्ण भंडार के बारे में भी अपनी राय रखी है.

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का दिन होने के कारण यहां अन्य दिनों की अपेक्षा भीड़ ज्यादा रही. विसर्जन के लिये आये लोगों के पांव अपने आप किले की ओर खिंचते चले गये. ऐसे लोगों का यहां सारे दिन मेला लगा रहा. इधर आम आदमी की जिज्ञासायें बढ़ती जा रही हैं.

बक्सर स्थित आश्रम से संत शोभन सरकार के शिष्य ओम जी ने भी संभावित खजाना स्थल पर समय दे कर श्रमिकों और टीमों के लोगों की हौसला आफजाई की.

रविवार पुरातत्व विभाग के चार सदस्यीय दल ने यहां पहुंच कर संभावित खजाना स्थल राजा के किले की सफाई शुरू कराने के लिये श्रमिक लगाये थे. दो श्रमिकों से शुरू हुये कार्य में सोमवार चार मजदूरों ने काम किया.

ग्राम प्रधान अजयपाल के दिशा निर्देश में सोमवार सारे दिन जंगली बबूलों की कटाई चलती रही.

बताया जाता है कि तकरीबन सौ मीटर के दायरे में खजाना होने के अनुमान लगाये गये हैं. यह वह जगह है जहां राजा राव राम बख्श सिंह का किला था. किले के खंडहर का अवशेष यहां अब भी है. जिसे जंगली बबूलों ने घेर रखा है. हालांकि शोभन सरकार ने करीब एक किलोमीटर के दायरे में भारी स्वर्ण भंडार होने का दावा किया है.

उन्हीं के दावे के आधार पर केंद्र सरकार ने पहल करते हुये इस स्थान पर संबंधित विभागों को जांच पड़ताल के लिये कहा था. अब तक की जांच में भूगर्भ में मेटल होने की संभावनायें जियोलाजिकल टीम ने जताई हैं. नतीजे में पुरातत्व विभाग के अलावा तहसील और पुलिस विभाग के लोगों ने भी अपनी- अपनी भूमिकाओं का निर्वहन शुरू कर दिया.

जियोलाजिकल टीम ने जांच पड़ताल के बाद 18 अक्टूबर से खुदाई कार्य शुरू कराने की बात कही थी. यही बात टीम के अधिकारियों ने जिलाधिकारी विजय किरन आनंद को लिखे पत्र में बताते हुये उनसे खुदाई में सहयोग की अपेक्षा जताई थी.

जिलाधिकारी ने 18 अक्टूबर से खुदाई शुरू होने से पहले तहसील अमले को जरूरी कार्यवाहियां पूरी करने के निर्देश दिये थे. उन्ही के निर्देश अनुपालन में रविवार लेखपालों ने मौके पर जा कर वहां का नक्शा बनाया था और तमाम अन्य जरूरी कागजी कोरम पूरे किये.

हालांकि बीघापुर एसडीएम ने अपने वहां न पहुंचने तक कोई भी काम न शुरू कराये जाने का हुक्म दिया था और रविवार देर शाम तक संग्रामपुर पहुंचने का आश्वासन दिया था मगर वह पहुंच नहीं सके थे.

आखिरकार सोमवार सुबह श्रमिकों ने पुरातत्व टीम के वहां मौजूद दो सदस्यों के निर्देश पर बबूलों की कटाई का काम जारी रखा. उधर फतेहपुर जिले में गंगा किनारे यहां से बड़ा स्वर्ण भंडार होने की जानकारी दे कर वहां भी प्रशासनिक अमले के साथ आम आदमी में खुशियों की संभावनायें जगा दी हैं.

18 तारीख से शुरू होने वाली खुदाई में यदि संत की भविष्यवाणी और जांच दलों की संभावनायें सच का जामा पहनती हैं तो सिर्फ फतेहपुर-उन्नाव में ही नहीं समूची दुनियां में भारत के स्वर्ण भंडारों की चर्चा होने लगेगी और साथ-साथ संत शोभन सरकार की भी. फतेहपुर में ढाई हजार टन सोने का भंडार होने के दावे के बाद से यहां के लोगों व प्रशासनिक अमले में और दिलचस्पी बढ़ी है.

उधर पुरवा कस्बे से आये राव साहब के कथित वंशजों में चंदीवीर, अंबीवीर व उदयवीर ने किला स्थल का दौरा करते हुये कहा उन्हें यहां बसाया जाये ताकि वह कम से कम चिराग तो जला सकें.

उनका यह भी कहना था कि अगर खजाना सीमित मिलता है तो उसे यहीं के विकास में लगा दिया जाये और यदि टनों के हिसाब से मिलता है तो उसे संत शोभन सरकार के विवेकानुसार सुव्यवस्थित किया जाये.



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