Malegaon Blast Case Verdict: मालेगांव मामले में आरोपियों को बरी किया जाना 10 दिनों में ATS के लिए दूसरा झटका
मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट का फैसला आ गया है। 17 साल बाद इस मामले में फैसला आया है जिसमें NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया है।
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महाराष्ट्र में 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में गुरूवार को निचली अदालत द्वारा सभी सात आरोपियों को बरी किये जाने का फैसला महाराष्ट्र आतंकवाद-निरोधी दस्ते (ATS) के लिए पिछले 10 दिनों में दूसरा झटका साबित हुआ।
बम्बई उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट मामले में 22 जुलाई को 11 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस मामले की जांच भी एटीएस ने ही की थी।
एटीएस ने मालेगांव विस्फोट मामले की भी शुरुआती जांच की थी और मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एवं लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित विभिन्न आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अपने हाथ में ले ली थी।
विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत मौजूद नहीं हैं तथा अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि विस्फोटक मोटरसाइकिल पर रखा गया था।
विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने जांच में कई खामियों की ओर इशारा किया और कहा कि अभियुक्तों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
एटीएस ने 21 अक्टूबर, 2008 को जांच अपने हाथ में लेने के दो दिन के भीतर प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कलसांगरा और श्याम भवरलाल साहू को गिरफ्तार कर लिया था और दावा किया था कि विस्फोट दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा किया गया था।
एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के नेतृत्व में इस मामले का खुलासा हुआ था, लेकिन दुर्भाग्यवश वह 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए थे
एटीएस ने कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे को भगोड़ा घोषित कर दिया गया। उनका कोई पता नहीं चला।
एनआईए ने 13 अप्रैल, 2012 को जांच का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया।
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