वायनाड भूस्खलन पर वैज्ञानिक रख सकेंगे अपनी राय, सरकार ने वापस लिया फैसला
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य के मुख्य सचिव को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के उस विवादास्पद आदेश को वापस लेने को कहा है, जिसमें वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को वायनाड में हुए भूस्खलन पर अपनी राय और अध्ययन रिपोर्ट को मीडिया से साझा नहीं करने को कहा गया था। साथ ही सरकार ने वैज्ञानिकों को भूस्खलन क्षेत्र का दौरा करने से भी मना किया था।
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पिनाराई विजयन ने एक बयान में कहा, "मुख्य सचिव को तुरंत हस्तक्षेप करने और संबंधित अधिकारी को इसे वापस लेने के लिए निर्देश दिया गया। इससे गलतफहमी पैदा हुई है।"
राज्य के मुख्य सचिव डॉ वेणु ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, "इस निर्णय के पीछे वैज्ञानिक संस्थानों से जुड़े लोगों को हतोत्साहित करना नहीं है। मौसम में होने वाले बदलावों और मौजूदा परिस्थितियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिकों की जरूरत होती है। लेकिन, इस समय सरकार का पूरा ध्यान राहत और बचाव कार्य पर है। यह जरूरी है कि बचाव, राहत और पुनर्वास पर तत्काल ध्यान न भटके और राज्य सरकार के बयानों या राय का गलत अर्थ न निकाला जाए।"
एक अधिकारी ने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययनों का बहुत महत्व है जो जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाल सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बयानों या राय की गलत व्याख्या के कारण व्यापक घबराहट और भ्रम की स्थिति न बने।
उन्होंने कहा कि राज्य राहत आयुक्त और आपदा प्रबंधन के प्रमुख सचिव टिंकू बिस्वाल द्वारा तैयार किए गए नोट के खिलाफ वैज्ञानिक समुदाय द्वारा कड़ा विरोध जताए जाने के बाद सरकार का स्पष्टीकरण आया, जिसमें राज्य के सभी वैज्ञानिक संस्थानों को वायनाड में मेप्पाडी पंचायत का दौरा न करने का निर्देश दिया गया था। नोट में आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोई भी अध्ययन करने से पहले केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था।
बता दें कि भारी बारिश के बाद मंगलवार की सुबह वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन में कम से कम 297 लोगों की मौत हो गई है। जिले के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव भूस्खलन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
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