Andhra HC ने बैठकों पर अंकुश लगाने के सरकारी आदेश को किया रद्द

Last Updated 12 May 2023 03:13:46 PM IST

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य में सड़कों पर जनसभाओं पर रोक लगाने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय ने आदेश को रद्द कर दिया। यह देखा गया कि सरकारी आदेश मौलिक अधिकारों के लिए हानिकारक हो सकता है।


आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय

प्रधान न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवीएस सोमयाजुलु की खंडपीठ ने 24 जनवरी को आदेश सुरक्षित रख लिया था और शुक्रवार को फैसला सुनाया।

2 जनवरी 2023 को शासनादेश (जीओ) नंबर एक जारी कर जन सुरक्षा का हवाला देते हुए सड़कों पर जनसभाओं पर रोक लगा दी गई थी।

सीपीआई के राज्य सचिव रामकृष्ण ने जीओ को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिए जीओ जारी किया। उन्होंने तर्क दिया कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी इस प्रकार के प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे।

उच्च न्यायालय ने 12 जनवरी को एक अंतरिम आदेश जारी कर 23 जनवरी तक जीओ को निलंबित कर दिया था। यह पाया गया कि जीओ प्रथम ²ष्टया पुलिस अधिनियम की धारा 30 का उल्लंघन है।

हालांकि, राज्य सरकार ने वेकेशन बेंच द्वारा पारित स्थगन आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसमें तर्क दिया कि वेकेशन बेंच सुनवाई के लिए जनहित याचिका नहीं ले सकती है।

सरकार ने स्पष्ट किया कि जीओ किसी भी सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित नहीं करता है, लेकिन हाल ही में हुई भगदड़ की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए पूर्व अनुमति को अनिवार्य बनाकर केवल ऐसी बैठकों को नियंत्रित करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच को जीओ से जुड़ी सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया था कि उच्च न्यायालय जल्द से जल्द अंतिम फैसला सुनाए।

28 दिसंबर, 2022 को नेल्लोर जिले के कंदुकुर में टीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान मची भगदड़ के मद्देनजर शासनादेश जारी किया गया था। इस घटना में दो महिलाओं सहित आठ लोगों की मौत हो गयी थी।

निर्देश पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत जारी किए गए थे, जो सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक सड़कों पर सभा और जुलूसों के संचालन को नियंत्रित करता है।

सरकार ने संबंधित अधिकारियों से पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के तहत सार्वजनिक सड़कों और गलियों में जनसभाओं के आयोजन के लिए किसी भी आवेदन पर विचार करते समय, कंदुकुर घटना की पुनरावृत्ति की संभावना को ध्यान में रखने को कहा।

आईएएनएस
अमरावती


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment