केरल उच्च न्यायालय ने पिनाराई विजयन, 11 अन्य माकपा नेताओं के खिलाफ गैरकानूनी विधानसभा, दंगा मामले को रद्द किया

Last Updated 14 Oct 2022 11:16:33 AM IST

केरल उच्च न्यायालय ने 2009 में मानव शृंखला बनाकर विरोध करने के संबंध में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 11 अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और दंगा करने से जुड़े मामले और मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रही इससे संबंधित कार्यवाही को रद्द कर दिया है।


विजयन और अन्य नेताओं ने 2009 में दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के सदस्य देशों के साथ भारत द्वारा एक व्यापार समझौता करने को लेकर मानव शृंखला बनाकर विरोध-प्रदर्शन किया था।

न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने प्रकाश करात, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन और राज्य के मौजूदा मंत्री वी शिवनकुट्टी समेत विभिन्न माकपा नेताओं के खिलाफ दर्ज यह मामला रद्द कर दिया।

अदालत ने कहा कि उन्होंने या प्रदर्शनकारियों ने कोई बल प्रयोग नहीं किया, यह प्रदर्शन अनिश्चितकालीन नहीं था, इससे जन जीवन प्रभावित नहीं हुआ था और इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने या दंगा करने का मामला नहीं बनता।

माकपा के 12 नेताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान यह मामला रद्द कर दिया गया।

उच्च न्यायालय ने मामला खारिज करते हुए कहा कि जिस तरह किसी राजनीतिक दल का नेतृत्व करने से अभियोजन से छूट नहीं मिल जाती, उसी तरह आरोपी की स्थिति अदालत को ऐसे किसी अनावश्यक अभियोजन में हस्तक्षेप करने से नहीं रोक सकी, जिसमें किसी शिकायत में लगाए गए आरोपों का मामला नहीं बनता है।

अदालत ने 13 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि यदि किसी प्रदर्शन या लोगों की सभा के दौरान कोई आपराधिक बल प्रयोग नहीं किया गया है या इसका प्रदर्शन नहीं किया गया है तो उक्त सभा गैरकानूनी नहीं मानी जाएगी।

भाषा
कोच्चि


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