ओडिशा के मलकानगिरी जिले में लगभग 150 माओवादी समर्थकों ने माआवादियों द्वारा बनाए गए ‘शहीद स्तंभ’ को ध्वस्त कर दिया और पुलिस तथा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
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यह घटना रालेगड़ा ग्राम पंचायत में हुई, जिसे अब ‘स्वाभिमान अंचल’ कहा जाता है। यह पहले माओवादियों का गढ़ था। यह क्षेत्र तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है, जबकि अन्य हिस्सा पड़ोसी आंध्र प्रदेश के घने जंगल से जुड़ा है। माओवादी समर्थकों ने सोमवार को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) (माओवादी) के सदस्यों की और मदद नहीं करने का संकल्प भी लिया।
मलकानगिरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नितेश वाधवानी ने कहा, ‘‘यह ओडिशा पुलिस की ‘घर वापसी’ पहल का हिस्सा है। आंतरिक और माओवाद प्रभावित गांवों को मुख्यधारा में लाया जा रहा है। हम लोगों में विश्वास पैदा कर रहे हैं कि वे विकास को गति देने में मदद के लिए पुलिस और प्रशासन से संपर्क करें।’’
अधिकारियों ने कहा कि पड़ोसी आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सक्रिय माओवादी इस क्षेत्र में शरण लेते थे, क्योंकि यह सुरक्षा कर्मियों के लिए लगभग दुर्गम था।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जुलाई 2018 में क्षेत्र में जनबाई नदी पर ‘गुरुप्रिया पुल’ का उद्घाटन किया था। 2019 में 15 साल में पहली बार वहां चुनाव भी हुआ था।
दिन में आत्मसमर्पण करने वालों ने पुतले और माओवादी साहित्य को भी जलाया और ‘माओबाड़ी मुर्दाबाद’ के नारे लगाए।
बीएसएफ के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) एस. के. सिन्हा ने कहा कि इलाके में सुरक्षाकर्मियों की मजबूत मौजूदगी से लोगों में माओवादियों के खिलाफ आवाज उठाने का विश्वास पैदा हुआ है। मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लेने वाले लोगों के बीच पुलिस और बीएसएफ ने खेल किट, साड़ी और कपड़ों का अन्य सामान बांटा। जिला प्रशासन ने उन्हें ‘रोजगार कार्ड’ भी प्रदान किए हैं।
इससे पहले दो जून को 50 माओवादी समर्थकों ने मलकानगिरी में ओडिशा के डीजीपी के सामने आत्मसमर्पण किया था। नौ दिन बाद, 397 अन्य माओवदी समर्थक मुख्यधारा में शामिल हुए थे।
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