अकाली दल प्रमुख बादल 94 वर्ष की आयु में राजनीतिक पारी खेलने को तैयार

Last Updated 25 Dec 2021 05:54:36 PM IST

पंजाब की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले और शिरोमणि अकाली दल(शिअद) प्रमुख प्रकाश सिंह बादल को राजनीति में सात दशकों से भी अधिक का समय हो गया है और अभी 94 वर्ष की आयु में वह पार्टी को जीत की राह पर ले जाने के लिए तैयार हैं।


शिअद प्रमुख प्रकाश सिंह बादल (फाइल फोटो)

पंजाब की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों से हुई उथल पुथल के बावजूद वह राजनीतिक क्षेत्र में एक उदारवादी नेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं और एक बार फिर वह जनता के नेता होने के अपने करिश्मे को दिखाने की कोशिश में है। वह राज्य की सक्रिय राजनीति में पिछले पांच दशकों से हैं और 1970 में देश का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी उन्हें ही हासिल है।

राजनीतिक क्षेत्र में बादल सीनियर के नाम से भी विख्यात प्रकाश सिंह बादल 1947 में मात्र 20 वर्ष की आयु में देश के सबसे युवा सरपंच बने थे और इतने वर्षो तक राजनीतिक बिसात खेलने के बाद उन्होंने वर्ष 2008 में पार्टी की कमान अपने एकमात्र पुत्र सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी थी। प्रकाश सिंह बादल राजनीति की रग रग से वाकिफ है और वह बेहतर चुनावी प्रबंधन के गुर भी जानते हैं। संसद और विधानसभा में 11 बार अपनी पारी खेलने वाले बादल सीनियर एक बार फिर राज्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

पंजाब विधानसभा चुनावों की घोषणा से कुछ हफ्तों पहले ही उन्होंने मुक्तसर जिले में अपने लांबी विधानसभा क्षेत्र का दौरा करना शुरू कर दिया है। इस दौरान वह अपनी पुत्रवधू और बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर को अपने साथ नियमित तौर पर लोगों के साथ संवाद करने के लिए ले जाते हैं। वह तकनीक का अधिक इस्तेमाल करने के बजाए लोगों के साथ आमने सामने संवाद करना अधिक पसंद करते हैं।

अभी हाल ही में एक जनसभा के दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कहा था ' जब राज्य में शिअद और बहुजन समाज पार्टी की सरकार सत्ता में आएगी तो सुखबीर बादल आपके मुख्यमंत्री होंगे और बादल साहब आपके सुपर मुख्यमंत्री होंगे। आपको उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मनाना है क्योंकि वह कह रहे हैं कि सेहत उनका साथ नहीं दे रही है लेकिन आप सभी को उन्हें इस बात के लिए मनाना है और अगर वह घर बैठ कर भी चुनाव लड़ते हैं तो आप उन्हें जिता सकते हैं। हालांकि बादल सीनियर ने कई बार अपने भाषणों में कहा है कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी उन्हें सौंपेगी ,वह उसे पूरा करेंगे।

अभी हाल में पार्टी नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ मादक पदार्थ केस में मामला दर्ज होने के बाद कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए बादल सीनियर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए बदले की राजनीति का सहारा नहीं ले।

उन्होंने 23 दिसंबर को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि बेअदबी की घटना से प्रत्येक धर्मनिष्ठ सिख की भावना आहत होती है और हाल ही की हिंसा तथा बेअदबी की घटनाओं का वर्ष 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के नतीजों से सीधा संबंध है।

उन्होंने कहा कि श्री हरमंदर साहिब को मुगलों, ब्रिटिशों और कांग्रेस शासकों ने अपने कुटिल तथा खतरनाक मंसूबों से निशाना बनाया था। उन्होंने कहा "वर्ष 1984 के बाद यह पहली बार है कि मानवता के सबसे पवित्र स्थान को नापाक मंसूबों के चलते निशाना बनाया गया है और यह कोई महज संयोग नहीं है कि कांग्रेस के शासन में ऐसा हुआ है।"

बादल सीनियर ने विभिन्न अकाली आंदोलनों के दौरान लगभग 17 वर्ष जेलों में बिताए हैं और इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें नेल्सन मंडेला तक कह दिया है।

प्रकाश सिंह बादल का कहना है मेरे विरोधियों ने मेरे तथा परिवार के खिलाफ सैंकड़ों मामले दर्ज कराए हैं लेकिन मैं इनकी परवाह नहीं करता हूं। मैंने विभिन्न अकाली आंदोलनों में अपने जीवन के 17 वर्ष जेल में बिताए हैं और मैं एक बार जेल जाने से नहीं डरता हूं। कांग्रेस सरकार ने मेरी पत्नी को भी नहीं बख्शा था और अगर वे सोचते है कि ऐसा कर अकाली दल को कमजोर कर देंगे तो यह उनकी गलतफहमी है । "

राजनीतिक जीवन में बेहद चुतर और जमीन से जुड़े बादल सीनियर ने इस हफ्ते एक और वरिष्ठ अकाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी में लाने में अहम भूमिका निभाई है। उनका कहना है आज मैं बहुत खुश हूं कि एक बार फिर दो भाइयों ने हाथ मिलाए हैं।"

उन्होंने अकाली दल से गए अन्य नेताओं से भी पार्टी में वापसी की अपील करते हुए कहाजब भी हम पर हमला हुआ , हम और मजबूत होकर उभरे हैं और इंदिरा गांधी भी हमारी इच्छा शक्ति को नहीं तोड़ पाई थीं। कांग्रेस की तरफ से हमारे खिलाफ झूठे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं और उनके यह काम भी हमें हमारे मकसद को हासिल करने से नहीं डिगा पाएंगे।"

उन्होंने कहा कि मौजूदा कांग्रेस सरकार के राज में सुशासन की अनदेखी की गई है और लोगों के कल्याण तथा विकास संबंधित सभी योजनाओं को रोक दिया गया है और यही सब इस सरकार की पराजय के कारण बनेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार विधानसभा चुनावों में राज्य में मादक पदार्थ की समस्या और हाल ही में बेअदबी की घटनाओं के बाद हिंसा के मामले सबसे बड़े मुद्दों के रूप में होंगे।

पार्टी ने हालांकि लांबी विधानसभा सीट से कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है लेकिन पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 91 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है और यह भी कहा है कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए शिअद 97 और बसपा 20 सीटों पर चुनाव मैंदान में अपनी किस्मत आजमाएगी।

गौरतलब है कि शिअद और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का दो दशकों से भी अधिक पुराना संबंध था लेकिन केन्द्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर हुए तीव्र मतभेद के बाद शिअद ने राजग से सितंबर 2020 में नाता तोड़ लिया था।

अकाली दल के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया चूंकि सुखबीर सिंह बादल के पास अपने पिता जैसी राजनीतिक समझ नहीं है और आगामी विधानसभा चुनाव में उसक सामने करो या मरो की स्थिति है जिसे देखते हुए वह पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए बादल सीनियर पर ही निर्भर है।

कांग्रेस पार्टी को पंजाब में लगभग एक दशक के बाद राजनीति में आने का मौका मिला था और चार फरवरी 2017 को हुए विधानसभा चुनावों में उसे 77 सीटें मिली थीं। इससे पहले 2007-17 तक राज्य में अकाली दल-भाजपा गठबंधन सत्ता में रहा था।

आईएएनएस
चंडीगढ़


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