असंतुष्टों की आवाज को नहीं दबाया जा सकता, किसान यूनियनों से तुरंत बात करे केंद्र: CM अमरिंदर

Last Updated 27 Nov 2020 01:14:23 PM IST

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति को निपटाने के लिये केन्द्र को किसान संगठनों से जल्द बातचीत करनी चाहिये।


पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (File photo)

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति को निपटाने के लिये केन्द्र को किसान संगठनों से जल्द बातचीत करनी चाहिये।

यह स्थिति इसलिये पैदा हुई क्योंकि हरियाणा की तरफ से किसानों को दिल्ली की तरफ कूच करने से रोकने की कोशिश की गई। कैप्टन सिंह ने आज यहां एक बयान में कहा कि किसानों की आवाज़ हमेशा के लिए नहीं दबायी जा सकती।

केंद्र सरकार को दिल्ली की सीमाओं पर पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए किसान संगठनों से तुरंत बातचीत करनी चाहिए। अब तीन दिसंबर तक इन्तज़ार न किया जाये ।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को शांतिपूर्ण ढंग से रोष प्रकट कर रहे किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने के लिए तुरंत दख़ल देना चाहिए क्योंकि किसानों ने कृषि कानूनों के खि़लाफ़ पिछले तीन महीनों से किये गये रोष-प्रदर्शन के दौरान अमन कानून की स्थिति को भंग करने की कोशिश नहीं की तथा न ही कोई हिंसक वारदात की है।

हरियाणा पुलिस की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर राजधानी तक अपनाए गए रवैये के कारण नियंत्रण से बाहर हो रहे हालात पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कैप्टन सिंह ने कहा कि किसानों को राजधानी में अपनी आवाज़ बुलंद करके अपना रोष प्रकट करने का लोकतांत्रिक और कानूनी हक है।

हरियाणा पुलिस की तरफ से किसान, जिनमें बुज़ुर्ग महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, पर पानी की बौछारें करने ,आँसू गैस के गोले ,बैरिकेड लगाने और लाठीचार्ज किये जाने से हालात चिंताजनक हुये । ये किसानों के प्रति हरियाणा सरकार के उदासीन रवैये को उजागर करता है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने उन लोगों को भी आड़े हाथों लिया जिनकी तरफ से कांग्रेस पर किसानों को दिल्ली की तरफ कूच करने के लिए भडक़ाने के आरोप लगाये गये । उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरहदों पर पंजाब से ही नहीं बल्कि भारत के अन्य कृषि प्रधान राज्यों से भी किसान पहुँच रहे हैं। यह उनकी जि़न्दगी और रोज़ी-रोटी की लड़ाई है और उनको किसी उकसावे की ज़रूरत नहीं है।
 

वार्ता
चंडीगढ़


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