शिवसेना ने गुरुवार को दावा किया कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की ‘छवि’ खराब करने के लिए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले का राजनीतिकरण किया गया।
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शिवसेना ने प्रश्न किया कि यदि पटना में दर्ज प्राथमिकी सही थी, तो क्या यदि इस मामले के वे अन्य ‘लोग’ जो दूसरे राज्यों से हैं, पश्चिम बंगाल में प्राथमिकी दर्ज कराएं, तो क्या कोलकाता पुलिस को जांच का अधिकार मिल जाएगा?
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल शिवसेना ने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस की जांच अंतिम चरण में थी। तब उसे रोका गया और बिहार सरकार की सिफारिश पर सीबीआई को सौंपा गया।
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि यह चकित करने वाला है कि अदालत को मुंबई पुलिस की जांच में कुछ भी गलत नहीं मिला इसके बाद भी मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया।
संपादकीय में कहा गया, ‘बिहार में अपराध के कई मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। अब तक सीबीआई ने कितने वास्तविक दोषियों को पकड़ा है? मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की ‘‘छवि’’ खराब करने के लिए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले का राजनीतिकरण किया गया।’
सुशांत सिंह राजपूत (34) 14 जून को मुंबई के बांद्रा में अपने अपार्टमेन्ट की छत से लटके मिले थे। इसके बाद इसकी जांच कर रही मुंबई पुलिस ने राजपूत की बहनों, अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती सहित 56 लोगों के बयान दर्ज किए।
उच्चतम न्यायाल ने बुधवार को अपने फैसले में पटना में दर्ज प्राथमिकी को जांच के लिए सीबीआई को सौंपे जाने को विधिसम्मत करार दिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि बिहार सरकार इस मामले को जांच के लिये सीबीआई को हस्तांतरित करने में सक्षम है।
संपादकीय में कहा गया कि मुंबई पुलिस जांच कर रही थी कि ‘‘राजपूत ने आत्महत्या क्यों की।’’
इसमें कहा गया,‘‘ यह भ्रम है कि केवल सीबीआई अथवा बिहार पुलिस ही सच्चाई का पता लगा सकती है। किसी भी राज्य का कोई मामला सीबीआई अपने हाथ में ले, इसमें कोई नुकसान नहीं है,लेकिन यह राज्य के अधिकारों का हनन होगा।’’
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