पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल में एक बार फिर टकराव

Last Updated 05 Dec 2019 04:31:22 PM IST

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को राज्यपाल के प्रवेश के लिए निर्दिष्ट द्वार बंद होने के कारण गुरुवार को विधानसभा के बाहर इंतजार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल पद का किये गए अपमान ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास को ‘शर्मसार’ किया है।


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (फाइल फोटो)

 उन्होंने कहा कि राज्यपाल पद का किये गए अपमान ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास को ‘शर्मसार’ किया है।

बाद में उन्होंने मीडियाकर्मियों और अधिकारियों के प्रवेश के लिए निर्दिष्ट द्वार संख्या चार से विधानसभा में प्रवेश किया। 

राज्यपाल धनखड़ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गेट नंबर तीन बंद क्यों है? मेरी पूर्व सूचना के बावजूद गेट बंद है। विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने का मतलब इसका बंद होना नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल के लिये बने प्रवेश द्वार के बंद होने की घटना ने हमारे देश के लोकतांत्रिक इतिहास को शर्मसार किया है। यह मेरा अपमान नहीं बल्कि राज्य की जनता और संविधान का अपमान है।’’ 

विधानसभा के मानकों के अनुसार द्वार संख्या तीन राज्यपाल के प्रवेश और निकास के लिए निर्दिष्ट है।

धनखड़ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी को पत्र लिखकर वहां पर सुविधाएं देखने और पुस्तकालय जाने की इच्छा व्यक्त की थी। 

राज्यपाल ने विधानसभा से बाहर आने के बाद कहा, ‘‘मैंने अपने दौरे के बारे में सूचित किया था, उसके बाद राजभवन के विशेष सचिव के पास विधानसभा अध्यक्ष की ओर से मुझे और मेरी पत्नी को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित करने का एक संदेश आया। मैंने इसे स्वीकार कर लिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संदेश प्राप्त करने के डेढ घंटे के भीतर मेरे विशेष सचिव को विधानसभा सचिव का एक और संदेश मिला जिसमें कहा गया कि आमंत्रण रद्द कर दिया गया है। उन्हें यह भी बताया गया कि मेरी यात्रा के दौरान विधानसभा के सचिव और विशेष सचिव उपस्थित नहीं होंगे।’’

राज्यपाल ने कहा,‘‘मैं हैरान हूं कि एक-डेढ घंटे के दौरान ऐसा क्या हुआ कि हर चीज बदल गई। आज जो हुआ है उससे राज्यपाल पद की गरिमा को ठेस पहुंची है और इस बारे में मैं विधानसभा अध्यक्ष को लिखूंगा।’’ 

लोकतांत्रिक मानदंडों और संवैधानिक पदों की गरिमा को कम करने की कोशिश के लिए राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए राज्यपाल ने कहा कि वह सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की इस तरह की ‘हरकतों’ से हताश नहीं होंगे। 

एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही अचानक ही दो दिन के लिए पांच दिसंबर तक स्थगित कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इसका कारण बताते हुए कहा था कि जो विधेयक विधानसभा में पेश किए जाने हैं उन्हें अभी तक राज्पाल की ओर से मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि, राजभवन ने इस दावे का खंडन किया था।      

 

भाषा
कोलकाता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment