दलबदल से उड़ी महबूबा मुफ्ती की नींद, बुलाई कोरग्रुप की बैठक
सूबे की सत्ता से हटने के बाद लगातार कमजोर पड़ रही पीडीपी अब अपने वजूद के लिए संघषर्रत है।
पीडीपी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (file photo) |
पार्टी में विरोधी दल नेशनल कांफ्रेंस तथा घाटी आधारित ही पीपुल्स कांफ्रेंस द्वारा लगाई जा रही सेंध ने पीडीपी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नींद उड़ा कर रख दी है। दिलचस्प बात यह है कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहे पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन भी पीडीपी को चुनौती देने लगे हैं। संभवत: यही बजह है कि पीडीपी के बागी निवर्तमान विधायक एवं घाटी के प्रमुख शिया चेहरे आबिद अंसारी तथा इमरान अंसारी द्वारा शुक्रवार को पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल होने के बाद शनिवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने पार्टी के कोरग्रुप की अहम बैठक बुलाई।
इसी सप्ताह पीडीपी के ही दो प्रमुख निवर्तमान मंत्रियों पीर मोहम्मद हुसैन तथा बुशारत बुखारी ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूख अब्दुल्ला तथा उमर अब्दुल्ला की मौजूदगी में नेशनल कांफ्रेंस का दामन थामा है। बुशारत बुखारी घाटी से प्रकाशित होने वाले एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी के भाई हैं। शुजात बुखारी की कुछ माह पूर्व पाक समर्थित आतंकियों ने तब अचानक हमला करके हत्या कर दी थी, जब वह श्रीनगर के प्रेस इन्कलेव स्थित अपने दफ्तर से बाहर निकल अपनी कार में बैठ कर रोजा इफ्तार के लिए जा रहे थे। पीडीपी सूत्रों का कहना है कि शुजात बुखारी को एक अरसे से आतंकियों की ओर से धमकियां मिल रही थीं, जिसे लेकर वह तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से अपनी सुरक्षा को कड़ी किए जाने को लेकर निरंतर फरियाद कर रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री की उदासीनता के चलते कड़ी सुरक्षा नहीं मिल पाई। इस कारण भी बुशारत बुखारी पीडीपी प्रमुख से बेहद नाराज चलते आ रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि पीडीपी के बीच मचे घमासान की स्थिति में नेशनल कांफ्रेंस तथा सज्जाद लोन दोनों को सेंघ लगाने का मौका मिल गया। सज्जाद लोन महबूबा मुफती मंत्रिमंडल में भाजपा के कोटे से मंत्री थे। सरकार गिरने के बाद सज्जाद लोन तीसरे मोर्चे के जरिए पीडीपी व अन्य दलों के विधायकों के संपर्क में बने हुए थे, ताकि सूबे में पुन: लोकप्रिय सरकार की स्थापना हो सके। मगर ऐसा न हो सका। माना जा रहा है कि तीसरे मोच्रे की कबायद भाजपा की घाटी में एक रणनीति का ही हिस्सा है। बताया गया कि इसे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव का समर्थन हासिल है।
पीडीपी घाटी में 2014 की भांति आज कम प्रासंगिक होती दिख रही है। चूंकि उसमें बिखराव का सिलसिला थमता दिखाई नहीं दे रहा। इसलिए माना जा रहा है कि घाटी में आगामी लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के अवसर पर सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस भी पूरा दमखम दिखाने की कोशिश करेगी। जो भाजपा 2014 के लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों की जमानत बचाने में असफल रही, अब वह पीपुल्स कांफ्रेंस की मदद से घाटी में भी खाता खोलने के लिए रणनीति को पूरी ताकत के साथ में अमल में लाने में लगी है। सूत्रों का कहना है कि सज्जाद लोन की हर संभव कोशिश है कि पीडीपी जिसका दक्षिण कश्मीर का समूचा इलाका मजबूत गढ़ रहा, उसमें भी पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ-साथ नेशनल कांफ्रेंस भी सेंध लगाने में जुटी है। पीडीपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कुछ और बड़े नेता भी पीडीपी को छोड़ अन्य दलों में जाने की कोशिश में लगे हैं। इसलिए पीडीपी प्रमुख ने शनिवार को कोरग्रुप की बैठक बुलाई, ताकि पार्टी में जारी टूट को रोका जा सके।
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