दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों ने की पहचान के लिए जारी सर्वेक्षण में पारदर्शिता की मांग
राष्ट्रीय राजधानी में रेहड़ी-पटरी वालों के एक वर्ग ने शहर में विक्रेताओं की पहचान के लिए जारी सर्वेक्षण पर चिंता जताई है और पारदर्शिता और प्रक्रिया संबंधी स्पष्टता की कमी का आरोप लगाया गया है।
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इंडियन हॉकर्स अलायंस (आईएचए), टाउन वेंडिंग कमेटीज (टीवीसी), मार्केट एसोसिएशन और विक्रेता संघों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को यहां संवाददाता सम्मलेन में प्रक्रिया से जुड़ी कई समस्याओं को उजागर किया, जिसमें तकनीकी गड़बड़ियां, अपर्याप्त संचार और एकत्र किए जा रहे डेटा की सटीकता से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं।
लाजपत नगर के एक विक्रेता विक्रम ढींगरा ने कहा, "मौजूदा सर्वेक्षण पहचान से जुड़े काम से अधिक बहिष्कार जैसा अधिक लगता है।"
आईएचए ने दावा किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से ‘स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग विनियमन) अधिनियम, 2014’ और ‘दिल्ली स्ट्रीट वेंडिंग स्कीम, 2019’ के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ विक्रेताओं को आधिकारिक वेंडिंग प्रमाणपत्र प्राप्त करने से पहले ही उनके स्थानों से हटाया जा रहा है, जिससे उन्हें कानूनी सुरक्षा नहीं मिल पा रही।
आईएचए ने अपनी मांगों में सर्वेक्षण को तब तक अस्थायी रूप से निलंबित करने की मांग की, जब तक कि इसकी निगरानी विभिन्न ‘टाउन वेंडिंग कमेटी’ द्वारा नहीं की जाती।
उन्होंने सर्वेक्षण के डिजिटल मंच का स्वतंत्र ऑडिट, विक्रेताओं के लिए बारकोड वाली रसीदें जारी करने और प्रवर्तन कार्रवाइयों में अधिक जवाबदेही का भी अनुरोध किया।
आईएचए ने एक बयान में कहा, “रेहड़ी-पटरी वाले दिल्ली की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और एक निष्पक्ष व पारदर्शी प्रक्रिया के हकदार हैं।"
संगठन ने कहा कि संतुलित शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए समावेशिता और उचित विनियमन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
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