Delhi Excise Policy case : सिसोदिया की जमानत अर्जी का ईडी ने किया विरोध
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि दिल्ली सरकार की 2021-22 विवादित आबकारी नीति का उद्देश्य सदाबहार रूप से अवैध लाभ अर्जित करने का था।
मनीष सिसोदिया |
ईडी की ओर से विशेष वकील जोहेब हुसैन ने राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा से कहा कि यह नीति न केवल उस अवधि के लिए थी, बल्कि हमेशा के लिए थी जिससे आगे भी लाभ होता रहे। सिसोदिया के वकील ने इसका विरोध किया। न्यायाधीश अब इस मामले में 20 अप्रैल को आगे का दलील सुनेंगी।
हुसैन ने आगे तर्क दिया कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कोई बदलाव की जरूरत नहीं थी, जिसमें कहा गया था कि थोक व्यापार सरकार को दिया जाना चाहिए। लेकिन उसमें इस बात पर कोई चर्चा नहीं है कि उसे निजी हाथों को क्यों दिया जाए। इसके लिए कोई जीओएम बैठक भी नहीं की गई।
उन्होंने कहा जिस दिन दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कथित घोटाले के बारे में सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई, उसी दिन सिसोदिया ने अपना मोबाइल फोन बदल लिया। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार सिसौदिया हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमे में देरी करने के लिए सिसोदिया की ओर से जानबूझकर रणनीति बनाई गई है। सिसोदिया ने साउथ ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीति बनाने की पूरी साजिश रची।
ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में निचली अदालत, हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत से इनकार के खिलाफ सिसोदिया की समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी थी। उसे भी खारिज कर दिया गया था।
उनकी दूसरी जमानत याचिका फिलहाल विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। मनीष सिसोदिया को पहली बार पिछले साल क्रमश: 26 फरवरी और 9 मार्च को सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार किया था।
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