दिल्ली में कृत्रिम बारिश की तैयारी! कैसे होती है कृत्रिम बारिश आईए जानें
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को कहा कि सर्दी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ तकनीक के इस्तेमाल पर विचार कर रही है।
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राय ने कहा कि सरकार शहर के प्रत्येक वायु प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र के लिए एक अलग कार्य योजना तैयार कर रही है।
राय ने ‘शीतकालीन कार्य योजना’ पर 24 पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक के बाद यह घोषणा की। बैठक में आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश के बारे में एक प्रस्तुति दी थी।
इस बैठक में ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू), सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट और पर्यावरण रक्षा कोष के 24 सदस्यों और शोधकर्ताओं से भी सुझाव लिए गए।
राय ने कहा, विशेषज्ञों ने वाहन प्रदूषण, धूल प्रदूषण, बायोमास जलाने और अन्य प्रकार के प्रदूषण को कम करने के तरीकों पर विचार-मंथन किया। आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने और इसपर होने वाले खर्च को लेकर एक प्रस्तुति दी।
हमने उनसे एक विस्तृत प्रस्तुति तैयार करने का अनुरोध किया है, जिसे मुख्यमंत्री को दिखाया जाएगा। हम निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ पहले भी कृत्रिम बारिश पर इसी तरह के प्रस्ताव मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंप चुके हैं।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश
इसके लिए पहले कृत्रिम बादल बनाए जाते हैं। पुरानी और सबसे ज्यादा प्रचलित तकनीक में विमान या रॉकेट के जरिए ऊपर पहुंचकर बादलों में सिल्वर आयोडाइड मिला दिया जाता है। सिल्वर आयोडाइड प्राकृतिक बर्फ की तरह ही होती है। इसकी वजह से बादलों का पानी भारी हो जाता है और बरसात हो जाती है।
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