Delhi Govt Vs LG: आप की बड़ी जीत, SC का फैसला- केजरीवाल ही होंगे दिल्ली के बॉस
लंबे समय से चले आ रहे Delhi CM vs LG मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया है।
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दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर के मुद्दे पर CJI की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में CJI ने फैसला सुनाया। यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला की सुनवाई की।
CJI ने कहा यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है?
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है। दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 AA से ये स्पष्ट है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार है, और ये लोगों के प्रति जवाबदेह है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा NCT एक पूर्ण राज्य नही है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नही आता है। NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम है।
फैसले में केजरीवाल को अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक मिला, तो वहीं पुलिस की कमान अभी भी केंद्र सरकार के पास रहेगी।
CJI ने दिल्ली सरकार की पक्ष में बोलते हुए कहा कि चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास ये अधिकार नही रहता तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही की पूरी नही होती। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।
दिल्ली सरकार की सेवा में शामिल अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा। CJI ने आगे कहा कि पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड केंद्र के पास रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन मुद्दों पर दिल्ली विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार नहीं है, उनको छोड़कर बाकी मामलों में अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यों के पास भी शक्ति है लेकिन राज्य की कार्यकारी शक्ति संघ के मौजूदा कानून के अधीन है। यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्यों का शासन संघ द्वारा अपने हाथ में न ले लिया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि यदि प्रशासनिक सेवाओं को विधायी और कार्यकारी डोमेन से बाहर रखा जाता है, तो मंत्रियों को उन सिविल सेवकों को नियंत्रित करने से बाहर रखा जाएगा जिन्हें कार्यकारी निर्णयों को लागू करना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह प्रतिनिधि रूप का प्रतिनिधित्व करती है और संघ की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के विपरीत होगा।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सेवाओं पर नियंत्रण सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित प्रविष्टियों तक नहीं होगा।
दिल्ली सरकार बनाम LG मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत बुनियादी संरचना संघवाद का एक हिस्सा है, जो विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं और विविध आवश्यकताओं को समायोजित करते हैं।
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