ज्योतिबा फुले को लेकर BJP, सपा और बसपा में होड़

Last Updated 12 Apr 2023 03:46:30 PM IST

ज्योतिबा फुले फुले के जीवित रहते, भले ही उस समय के लोगों ने उन्हें अपमानित करने का कोई मौका ना छोड़ा हो, उनके द्वारा किए गए कार्यों का विरोध ना किया हो, लेकिन आज उत्तर प्रदेश में उन्हें याद करने की होड़ लगी है।


ज्योतिबा फुले को लेकर BJP, सपा और बसपा में होड़

खासकर भाजपा और सपा यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि सबसे ज्यादा दलित समाज की चिंता उन्हें ही है। कुछ दिन पहले कांशीराम की मूर्ति की स्थापना कर समाजवादी पार्टी ने प्रदेश के दलितों को यह बताने की कोशिश की थी कि वह बसपा से ज्यादा दलितों की हितैषी है।

बिते मंगलवार को जब सपा और भाजपा ने ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई तो मायावती बिफर पड़ीं। उन्होंने दोनों पार्टियों पर ढोंग करने का आरोप लगा दिया। ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए उस दौर में पहल की थी जिस दौर में महिलाओं को घर से बाहर भी जाने नहीं दिया जाता था। उन्हें शिक्षित करना तो दूर उन्हें इतनी भी आजादी नहीं थी कि वह पुरुषों से अपने हक की बात कर सके, उनसे अपनी समस्याएं बता सकें।

उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि महापुरुषों की जयंती मनाने का उद्देश्य, उनके द्वारा किए गए कार्यों को जानना है, ताकि लोग कुछ ज्ञान हासिल कर सकें। उन जैसे महापुरुषों के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर सकें। लखनऊ स्थित सपा कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि ज्योतिबा फुले सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे। उन्होंने गरीबों, पिछड़ों, दलितों और महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार में दलितों, पिछड़ों, वंचित और निर्दोषों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं।

इन दोनों ही पार्टी के नेताओं ने यह बताने की कोशिश की कि ज्योतिबा फुले के प्रति उनकी पार्टी नतमस्तक है। उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने के लिए सदैव तैयार रहती है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ज्योतिबा फुले की जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने  सपा और भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि जातिवादी तत्त्वों ने पहले ज्योतिबा फुले की उपेक्षा और तिरस्कार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। अब  उनके प्रति आस्था दिखा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि दलित समाज इस समय एक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर चुका है।

वह दोनों पार्टियां सिर्फ दलितों को ज्योतिबा फुले का फोटो दिखाकर उन्हें याद करने का ढोंग कर रही हैं।  उनकी जयंती पर सपा और भाजपा फोटो इवेंट का दिखावा कर रही हैं। मायावती ने अपने शासन के दौरान किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि ज्योतिबा फुले के नाम पर उन्होंने विश्वविद्यालय और  प्रेक्षागृह का निर्माण करवाया। प्रदेश के प्रमुख स्थलों पर उनकी प्रतिमाएं लगवाईं।

ज्योतिबा फुले की जयंती बरसों से बनाई जा रही है। कुछ वर्ष पहले तक भाजपा और सपा इस अंदाज में ज्योतिबा फुले को याद नहीं करती थी, जैसा कि आज कर रही हैं। अगर भाजपा और सपा दलित समाज के महान व्यक्तियों को याद कर रही है, उनके नाम पे बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं तो उसकी वजह भी मायावती ही हैं।

 यह सत्य है कि एक समय उत्तर प्रदेश का दलित समाज तन मन से मायावती के साथ खड़ा रहता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दलित समाज मायावती से छिटकने लगा है। दलित समाज ने बसपा से जो अपेक्षाएं की थी शायद उन पर बसपा खरा नहीं उतर पायीं। पिछले लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में दलितों का वोट भाजपा के पाले में गया था। अखिलेश यादव इस बात को समझते हैं कि दलित समाज अब मायावती से दूर जा रहा है। दलित समाज को एक विकल्प की जरूरत है। उसने भाजपा को मजबूरी में सपोर्ट किया।

लिहाजा अखिलेश यादव चाहते हैं कि कुछ ऐसा कर दिया जाए कि दलित समाज जी अभी भाजपा में शिफ्ट हो गया है, वह सपा की तरफ लौट कर आ जाए। अब दलित समाज को लेकर किसकी राजनीत कैसी और कब तक होती है यह बाद की बात है, लेकिन कम से कम इसी बहाने ज्योतिबा फुले को प्रदेश की दो बड़ी पार्टियां याद करने लगी हैं। इसी बहाने कम से कम आज की युवा पीढ़ी ज्योतिबा फुले के बारे में भी जानेगी। उनके द्वारा किए गए कार्यों को सामझेंगी और साथ ही साथ उनके जैसा कुछ  करने का प्रयास भी करेंगी।

शकंर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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