CJI चंद्रचूड़ की किन बातों को सुनकर खुश हुए असम के लोग
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने असम की बुनियादी समस्याओं को लेकर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने ऐसे मुद्दों को छूने की कोशिश की जिन मुद्दों को लेकर आम तौर पर नेताओं को बात करनी चाहिए। नेताओं, मंत्रियों और शासनिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों को समझना और बोलना चाहिए।
![]() सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ |
चीफ जस्टिस ने असम में प्रतिवर्ष आने वाले प्राकृतिक आपदाओं की बात की। उन आपदाओं के दौरान होने वाले परेशानियों के बारे में बात की। मुख्य न्यायाधीश के विचारों की चारों तरफ प्रशंसा हो रही है।
मुख्य न्यायाधीश ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह के अवसर पर आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट की न सिर्फ प्रशंसा की बल्कि आपातकाल के दौरान हाईकोर्ट के जजों द्वारा किए गए कार्यों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उस दौरान किस तरीके से गुवाहाटी हाईकोर्ट के जजों ने अपनी सूझबूझ से न्याय किया था। पूरी पारदर्शिता के साथ उन्होंने न्याय प्रक्रिया का पालन किया था।
हालांकि इस दौरान चीफ जस्टिस ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच आपसी सामंजस्य को लेकर भी बात बातें की। उन्होंने कहा कि सब को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। देश को विश्वास दिलाना चाहिए। ताकि देश के लोगों का भरोसा न्यायपालिका और कार्यपालिका पर हमेशा कायम रहे।
2019 में नागरिकता कानून बिल पास होने के बाद असम में बहुत हंगामा हुआ था। किसको असली नागरिक माना जाए, किसे असम से बाहर भेजा जाए, इसको लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासन में खूब झड़पें हुई थीं। लोगों से कागजात मांगे जा रहे थे। हजारों लोगों के पास ऐसे कागजात नहीं थे, जिससे यह साबित हो सके कि वह असम के नागरिक हैं। चीफ जस्टिस ने अपने वक्तव्य के दौरान जो बातें कहीं, उससे कहीं ना कहीं एक बात का एहसास हुआ कि उन्होंने असम के लोगों की जो बुनियादी समस्याएं हैं, उसे छूने की कोशिश की। उन्होंने साफ तौर से कहा कि असम के लोग हर साल प्राकृतिक आपदा के शिकार होते हैं। हर साल वहां बाढ़ आती है। लोगों की जानमाल की क्षति होती है। साथ ही साथ सैकड़ों हजारों लोगों के दस्तावेज भी बाढ़ के दौरान गायब हो जाते हैं।
चीफ जस्टिस ने अपने वक्तव्य के दौरान प्राकृतिक आपदा को लेकर जो बातें कहीं, उससे साफ जाहिर होता है कि चीफ़ जस्टिस राज्य की बुनियादी समस्याओं को कितना बेहतर तरीके से जानते और समझते हैं। यहां बता दें कि गुवाहाटी हाई कोर्ट अपना 75वां स्थापना दिवस मना रहा था। 1 मार्च 1948 में गुवाहाटी हाई कोर्ट की स्थापना हुई थी। गुवाहाटी हाईकोर्ट चार राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम को देखता है। इन चार राज्यों का यह इकलौता हाईकोर्ट है।
गुवाहाटी हाई कोर्ट के सभी जज वहां की बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और वकीलों ने भी चीफ जस्टिस के बयानों की, उनके विचारों की जमकर तारीफ की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि जज भी समाज का हिस्सा हैं। उन्हें भी सोशल होना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीफ जस्टिस के विचारों से देश के बाकी जज और वकील भी कुछ ना कुछ सीख कर उनके जैसा आचरण करने की कोशिश करेंगे।
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