सत्ता और विपक्ष दोनों ने क्यों पकड़ रखी है अपनी-अपनी लाइने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश में विपक्ष की सभी पार्टियां जी जान से लगी हुई है। इसी क्रम में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री की शिक्षा पर फिर सवाल उठाया है।
![]() दिल्ली सरकार के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया |
पत्र के जरिए मनीष सिसोदिया ने ना सिर्फ विज्ञान और तकनीकी की बात की है। बल्कि उन्होंने कहा है कि इस समय सारी दुनिया ऑफिसियल इंटलीजेंस की बात कर रही है, ऐसे में देश के प्रधानमंत्री गंदे नाले से निकलने वाली गैस से चाय और खाना बनाने की बात कर रहे हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री की बातों का जिक्र करते हुए यह बताने की कोशिश की है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री की विज्ञान और तकनीकी के बारे में कितनी अधूरी जानकारी है। उन्होंने पत्र के जरिए एक सवाल भी पूछा है कि क्या भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए? सिसोदिया ने अपने पत्र के माध्यम से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री की शिक्षा के बारे में जानना देशवासियों का अधिकार है।
उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की शिक्षा को लेकर जो सवाल पूछा है वह बिल्कुल वाजिब है। देश की जनता को जानना चाहिए कि उनके प्रधानमंत्री कितने पढ़े लिखे हैं। कुल मिलाकर सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सब ने एक दूसरे को टारगेट करने के लिए एक लाइन पकड़ रखी है। सत्ता पक्ष यानी एनडीए जिसका नेतृत्व भाजपा कर रही है, उसने एक सूत्रीय कार्यक्रम बना रखा है कि कैसे राहुल गांधी या गांधी परिवार को टारगेट करना है। कैसे उनकी छवि को धूमिल करना है। दूसरी तरफ सारा विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछते रहने का मन बना चुका है। सारा विपक्ष मोदी और अडानी के संबंधों का खुलासा करने की मांग कर रहा है। साथ ही साथ यह भी पूछ रहा है कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी क्यों नहीं बनाई जा रही है। यानी अदानी के ऊपर जो आरोप लगे हैं उसकी जांच के लिए विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है।
उधर अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी की शिक्षा को टारगेट कर रखा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बातों को आगे बढ़ाते हुए सिसोदिया ने भी एक पत्र के जरिए देशवासियों से यह पूछा है कि प्रधानमंत्री की शिक्षा के बारे में देश की जनता को क्यों नहीं जाना चाहिए। 2024 में लोकसभा का चुनाव होने वाला है सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सबकी यही कोशिश है कि जिसने भी जो राह पकड़ी है, उसी पर आगे बढ़ते रहना है।
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