एम्स में जनरल वॉर्ड के सिर्फ एक-तिहाई बेड होंगे मुफ्त
देशभर में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं के साथ मरीज अनुकूल योजना के तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. एम श्रीनिवास के कुशल नेतृत्व में हर दिन बदलाव की बयार तेज होती जा रही है।
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पेशेंट फ्रेंडली बदलाव की नई पहल के तहत अब एम्स की आर्थिक स्थिति मजबूत करनी होगी। इसके तहत कमाई बढ़ाने के लिए इसमें मौजूदा जनरल वार्ड के सिर्फ एक-तिहाई बेड्स को ही मुफ्त इलाज वाले मरीजों के लिए रखा जाए, जबकि बाकी बेड्स को किसी न किसी रूप में भुगतान आधारित बेड में तब्दील करना देना चाहिए। इसके अलावा एम्स में प्राइवेट वाडरे की संख्या में बढ़ोतरी भी करनी चाहिए। ये महत्वपूर्ण सिफारिशें एम्स चिंतन शिविर में हुए विचार-विमर्श के आधार पर सरकार से की गई हैं। फिलहाल तो ये बातें सिर्फ सिफारिश के तौर पर सामने आई हैं, लेकिन अगर सरकार ने इन पर अमल किया तो एम्स में इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को इसका खमियाजा उठाना पड़ सकता है। चिंतन शिविर में ये सिफारिशें सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के सभी एम्स की आमदनी बढ़ाने के लिए की गई हैं।
एम्स चिंतन शिविर में की गई सिफारिशें : एम्स चिंतिन शिविर में सिफारिश की गई कि एम्स में अभी जनरल वॉर्ड में जितने बेड्स उपलब्ध हैं, उनमें से एक-तिहाई बेड्स को स्पेशल जनरल वॉर्ड में तब्दील कर देना चाहिए, जबकि एक-तिहाई और बेड्स को गरीबी रेखा से ऊपर के मरीजों के लिए पेड यानी भुगतान आधारित बना देना चाहिए। एम्स के जनरल वार्ड में तो मुफ्त इलाज होता है, लेकिन स्पेशल वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को बेड, दवाओं और जांच के लिए भी भुगतान करना होगा।
एम्स की कमाई बढ़ाने के तरीकों पर विचार : यह अहम सिफारिशें जिस एम्स चिंतन शिविर में की गई हैं। इस शिविर में देश के सभी एम्स की कमाई बढ़ाने वाले रेवेन्यू मॉडल पर विचार किया गया, ताकि इन संस्थानों की सरकारी फंड्स पर निर्भरता को घटाया जा सके। सभी एम्स की हेल्थकेयर सर्विसेज़ में सुधार के मुद्दे पर भी विचार किया गया। शिविर में आयुष्मान भारत, राज्य सरकारों की योजनाओं, केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना, रेलवे और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करने की भी सिफारिश की गई है ताकि उनके इलाज के लिए इन योजनाओं से भुगतान लिया जा सके।
क्या है बजट : केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के अनुसार सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में दिल्ली एम्स के लिए 4,190 करोड़ रु पए आवंटित किए हैं। देश भर में कुल 23 एम्स हैं जिनमें से कुछ पूर्ण रूप से काम कर रहे हैं, कुछ आंशिक रूप से मरीजों को अपनी सेवाएं मुहैया करा रहे हैं जबकि कुछ का अभी भी निर्माणकार्य चल रहा है।
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