भारत सरकार की वेबसाइटों, सर्वरों को निशाना बना रहा बांग्लादेशी हैक्टिविस्ट समूह

Last Updated 22 Sep 2022 06:56:56 PM IST

साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने गुरुवार को कहा कि, उन्होंने बांग्लादेश से एक हैक्टिविस्ट समूह की खोज की है जो भारत सरकार की वेबसाइटों और सर्वरों को निशाना बना रहा है।


बांग्लादेशी हैक्टिविस्ट समूह

साइबर-सुरक्षा फर्म क्लाउडसेक की टीम के अनुसार, मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश (एमटी) नाम का समूह कई राज्य सरकारों के डोमेन और उप डोमेन और भारत सरकार द्वारा होस्ट किए गए वेब सर्वर के खिलाफ डीडीओएस (डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस) हमलों का उपयोग कर रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और तमिलनाडु की सरकारों की वेबसाइटें प्रभावित हुईं।

यह तब सामने आया जब समूह के एक सदस्य ने सरकारी वेबसाइटों पर हमले शुरू करने का दावा करते हुए एक पोस्ट किया। इसी तरह के पोस्ट फेसबुक और टेलीग्राम सहित कई प्लेटफॉर्म पर देखे गए। समूह के सदस्य मुख्य रूप से बांग्लादेश के चटगांव क्षेत्र में रहते हैं। जो या तो कॉलेज में पढ़ते हैं या हाल ही में स्नातक किया है।

टीम ने कहा कि, हैक्टिविस्म उनका मुख्य उद्देश्य है और समूह मुख्य रूप से फेसबुक, टेलीग्राम और ट्विटर के माध्यम से संचालित और संचार करता है। क्लाउडसेक के साइबर थ्रेट रिसर्चर अभिनव पांडे ने कहा, कई समूहों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण और प्रोफाइलिंग के माध्यम से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ऐसे हैक्टिविस्ट समूह नापाक हमलों को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के बीच मदद करते हैं। पांडे ने बताया, इस तरह के हैक्टिविस्ट समूहों द्वारा इस तरह के प्रभावशाली डीडीओएस हमलों के लिए 'रेवेन स्टॉर्म' सबसे प्रचलित उपकरण है।

मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश के सह-संस्थापकों में से एक को तस्कीन अहमद के रूप में मान्यता दी गई है। समूह के बाकी हिस्सों में मुख्य रूप से 20 से 25 वर्ष की आयु के बीच के छात्र या हाल के स्नातक शामिल हैं, जो पहले हैकर संगठनों के तहत संचालित होते थे, जैसा कि, एलीट फोर्स 71, बांग्लादेश साइबर एनोनिमस टीम, और टास्किन वाउ, क्लाउडसेक विश्लेषण से पता चला। वे मुख्य रूप से हैक्टिविज्म से प्रेरित हैं और इंडोनेशिया स्थित हैक्टिविस्ट समूह, गरुड़ के हैकटिविस्ट से जुड़े हैं।

टीम ने कहा, उनका यू-ट्यूब, फेसबुक और लिंकडिन आदि जैसे सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर सामग्री की बड़े पैमाने पर रिपोटिर्ंग में शामिल होने के सबूत मिलते रहे हैं। डीडीओएस हमले वेबसाइटों को असुरक्षित बनाते हैं क्योंकि हमले के कारण कुछ सुरक्षा सुविधाएं ऑफलाइन हो जाती है। शोधकर्ताओं ने कहा, क्षतिग्रस्त आधारभूत संरचना वेबसाइट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के पतन का कारण बन सकती है। वेबसाइटें आगे के हमलों की चपेट में आ जाती हैं। जिससे डेटा की हानि और क्रेडेंशियल्स से समझौता किया जा रहा है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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