Kishtwar Cloudburst: भारी बारिश के बावजूद किश्तवाड़ में लापता लोगों की तलाश 5वें दिन भी जारी

Last Updated 18 Aug 2025 02:48:39 PM IST

जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से प्रभावित सुदूरवर्ती गांव में मलबे में दबे लोगों का पता लगाने का अभियान सोमवार को पांचवें दिन भी जारी रहा।


भारी बारिश और दुर्गम इलाकों में बचाव दल ने लापता लोगों का पता लगाने के लिए सोमवार को भी बड़े पैमाने पर तलाश अभियान जारी रखा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

रेनकोट पहने बचाव दल के कर्मी कई स्थानों पर खासकर लंगर (सामुदायिक रसोई) स्थल के पास भारी बारिश के बावजूद काम करते देखे गए। बचाव दल जेसीबी मशीन और अन्य मशीनों का उपयोग करके मलबे को हटाते दिखे।

मचैल माता मंदिर के मार्ग में वाहन से पहुंचने योग्य गांव चिशोती में 14 अगस्त को बादल फटने से 61 लोग मारे गए। मरने वालों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के तीन कर्मी और एक विशेष पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इस घटना में 100 से अधिक लोग घायल हो गए। सूची में नए सिरे से संशोधन के बाद लापता लोगों की संख्या लगभग 50 बताई गई है।

बादल फटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, एक अस्थायी बाजार, वार्षिक मचैल माता यात्रा के लिए लंगर स्थल, 16 मकान और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आज अभियान का पांचवां दिन है और लापता लोगों के शव बरामद करने के लिए संयुक्त प्रयास जारी हैं। बारिश के कारण मौसम चुनौतीपूर्ण है। हमें आज के लिए (भारी बारिश की) चेतावनी भी दी गई है, लेकिन फिर भी हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’

पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीआईएसएफ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीम बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।

सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चिशोती नाले पर एक ‘बेली ब्रिज’ बनाया, जिससे गांव और मचैल माता मंदिर तक आवश्यक संपर्क स्थापित हो गया। अधिकारियों ने बताया कि सेना ने बचाव और राहत अभियान को तेज करने के प्रयासों के तहत कुछ ‘ऑल-टेरेन व्हीकल’ भी शामिल किए हैं।

‘बेली ब्रिज’ एक प्रकार का मॉड्यूलर ब्रिज होता है जिसके घटक/पुर्जे पहले से निर्मित होते हैं।

बचावकर्मियों ने पिछले दो दिनों में खोज अभियान में बाधक बन रहे विशालकाय पत्थरों को तोड़ने के लिए लगभग आधा दर्जन नियंत्रित विस्फोट किए।

वार्षिक मचैल माता यात्रा रविवार को लगातार पांचवें दिन स्थगित रही। यह यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर पांच सितंबर को समाप्त होने वाली थी।

9,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए 8.5 किलोमीटर का पैदल मार्ग चिशोती से शुरू होता है। चिशोती किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बचावकर्मी 12 से अधिक जेसीबी मशीन और अन्य भारी उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए श्वान दस्ते सहित अपने अन्य संसाधन की मदद ले रहा है।
 

भाषा
चिशोती (जम्मू कश्मीर)


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment