दिल्ली के सरकारी विद्यालयों के 72 शिक्षकों को किया बर्खास्त
शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने यहां सरकारी विद्यालयों के 72 शिक्षकों द्वारा भर्ती परीक्षा के दौरान जमा कराई गई तस्वीरों और उनके बायोमेट्रिक्स के बीच ‘मिलान नहीं’ होने के बाद उन्हें बर्खास्त किए जाने का नोटिस भेजा है।
![]() दिल्ली के 72 शिक्षक बर्खास्त |
डीओई समिति ने कहा था कि इन उम्मीदवारों ने 2018 में डीएसएसएसबी द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठने के लिए अपनी जगह किसी और को भेजा था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
इन उम्मीदवारों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विभिन्न पदों पर नामित किया गया था और उन्हें स्कूल आवंटित किए गए थे।
डीएसएसएसबी ने 2021 की शुरुआत में उनके बायोमेट्रिक्स को सत्यापित किया था, जिसके बाद समिति ने डीओई को तस्वीरों का मिलान नहीं होने का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट सौंपी।
यूपी में भी 26 साल से नौकरी कर रहा था फर्जी शिक्षक
जांच के दौरान एसटीएफ ने गोरखपुर के आरोपी शिक्षक को अपने पक्ष रखने के लिए बुलाया। मगर, शिक्षक अपना पक्ष रखने को प्रस्तुत नहीं हुआ। इसके बाद विभाग ने आरोपी के हाईस्कूल और इंटर के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया। इस दौरान कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल की बात सामने आई।
बलिया में कार्यरत शिक्षक के कूटरचित दस्तावेजों के सहारे गोरखपुर के परिषदीय विद्यालय में 26 साल से नौकरी करने वाले फर्जी शिक्षक को बेसिक शिक्षा विभाग ने बर्खास्त कर दिया था। आरोपी के खिलाफ एसटीएफ लखनऊ को शिकायत मिली थी। जांच में आरोप पुष्ट होने और एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने बर्खास्तगी की कार्रवाई की।
भटहट ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय काजीपुर में कार्यरत सहायक अध्यापक नंदलाल राम के खिलाफ बलिया के उच्च प्राथमिक विद्यालय रामपुर चौहान में कार्यरत शिक्षक नंदलाल राम ने शिकायत की थी। एसटीएफ लखनऊ को भेजे पत्र में नंदलाल ने गोरखपुर के शिक्षक पर कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया था।
जांच के दौरान एसटीएफ ने गोरखपुर के आरोपी शिक्षक को अपने पक्ष रखने के लिए बुलाया। मगर, शिक्षक अपना पक्ष रखने को प्रस्तुत नहीं हुआ। इसके बाद विभाग ने आरोपी के हाईस्कूल और इंटर के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया। इस दौरान कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल की बात सामने आई।
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