बिना उचित समय दिए किसी की झुग्गी न तोड़े डीडीए
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को बिना नोटिस दिए देर शाम या सुबह बुलडोजर से नहीं हटाया जा सकता है। उन्हें अपना निर्माण हटाने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए। साथ ही अस्थायी आश्रय भी प्रदान किया जाना चाहिए।
![]() दिल्ली हाईकोर्ट |
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने उक्त टिप्पणी करते हुए अतिक्रमण हटाने के दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की कार्रवाई को गलत बताया है।
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि झुग्गीवालों को बिना नोटिस के आश्रयहीन नहीं किया जा सकता। अतिक्रमण हटाए जाने से पहले डीयूएसआईबी से परामर्श करना चाहिए था।
उन्होंने यह टिप्पणी शकरपुर स्लम यूनियन की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। साथ ही डीडीए को आगे से डीयूएसआईबी से परामर्श कर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है और इससे संबंधित याचिका निपटा दी।
न्यायमूर्ति ने डीडीए को यह भी निर्देश दिया कि वह निवासियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय दे या वैकल्पिक रूप से उन्हें तीन महीने के लिए डीयूएसआईबी का आश्रयस्थल मुहैया कराने को लेकर कदम उठाए। जिससे वे अपनी झुग्गी तोड़े जाने की दशा में वैकल्पिक आवास खोज सकें और अपनी सामानों की सुरक्षा कर सकें।
डीडीए ने इस मामले में लगाई गई अदालती रोक को हटाने की मांग की थी। उसने कहा था कि यमुना नदी से लगभग दो सौ मीटर की दूरी तक के अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दे। पर स्थित क्षेत्र में विध्वंस किया गया था।
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