मुंडका अग्निकांड : निगम के तीन अधिकारियों पर गिरी गाज
मुंडका अग्निकांड हादसे में दुर्भाग्यपूर्ण मौत के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने नरेला जोन के लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर संदीप कौशिक, सामान्य शाखा के अनुभाग अधिकारी एसके शर्मा और गृहकर विभाग के अनुभाग अधिकारी बीआर मीणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
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जबकि अवैध निर्माण रोकने में नाकाम रहे 2011 में तैनात जूनियर इंजीनियर पर विजिलेंस केस करने के आदेश हुए हैं। यह पहली बार है कि नौ साल पुराने मामले में किसी जूनियर इंजीनियर की विजिलेंस जांच हो रही है। निगम का कहना है कि प्रथमदृष्ट्या यह प्रतीत होता है कि एकीकृत निगम के समय नजफगढ़ जोन के भवन विभाग और इन दिनों सामान्य शाखा, गृहकर विभाग के अधिकारियों की ओर से ढिलाई बरती गई।
निगम का कहना है कि लालडोरा की भूमि पर बने मुंडका गांव स्थित खसरा नंबर 193 है। यह भवन लगभग 376.25 वर्गमीटर में बना है। इसमें बेसमेंट, भूतल, प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चौथी मंजिल पर एक टीन शेड व बाथरूम बना हुआ है। यह भवन मनीष लाकड़ा पुत्र बलीत लाकड़ा का है। पूछताछ में पता चला कि पहली व तीसरी मंजिल पर हरीश गोयल एंड ब्रदर्स ने किराए पर ले रखी थी, जबकि चौथी मंजिल का इस्तेमाल खुद मालिक आवासीय उद्देश्य से कर रहा था। इसके अलावा बेसमेंट का उपयोग भंडारण के उद्देश्य से किया जा रहा था, जबकि भूतल खाली पड़ा था। यह भवन न तो व्यावसायिक है और न ही मिश्रित भूमि उपयोग श्रेणी का है।
उत्तरी निगम प्रशासन का कहना है कि नरेला जोन के भवन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार भवन का निर्माण लगभग 11 वर्ष पुराना है। इस संपत्ति को तत्कालीन नजफगढ़ जोन द्वारा आठ मार्च और 20 जून 2011 को बुक किया गया था। भवन मालिक ने स्व-मूल्यांकन के आधार पर 2016 से 2018 तक रूपांतरण शुल्क का भुगतान किया है। उस समय चल रहे निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया। इतना ही नहीं भवन मालिक ने कभी भी भवन योजना की स्वीकृति के लिए आवेदन नहीं किया।
निगम का कहना है कि भवन का उपयोग औद्योगिक प्रयोजन के लिए किया जा रहा था, जिसकी अनुमति उक्त क्षेत्र/परिसर में विस्तारित लालडोरा क्षेत्र में नहीं है। इस स्थान पर कारखाने को कोई वैध कारखाना लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। साथ ही निगम का कहना है कि संपत्ति के विरु द्ध किसी भी व्यापार/भंडारण लाइसेंस के लिए आवेदन जारी नहीं किया गया है इसलिए विभाग को अग्निशमन विभाग से फायर एनओसी प्राप्त करने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। वहीं कनवर्जन शुल्क 4,03,278 रुपए, पार्किंग शुल्क 2,66,221 व जुर्माना शुल्क 93,187 रुपए का भुगतान केवल वर्ष 2016 से 2018 के लिए केवल भूतल क्षेत्र यानी 209.60 वर्गफुट के लिए किया गया है।
भूतल पर चल रही शराब की दुकान चलाने के लिए स्वामी द्वारा स्व-मूल्यांकन कर भुगतान किया गया है। निगम रिकॉर्ड के अनुसार परिसर के स्वामी/कब्जेदार द्वारा कोई संपत्तिकर का भुगतान नहीं किया गया है और विभाग ने नोटिस जारी किए हैं। इतना ही नहीं इस भवन के विरुद्ध 2019 में पहले कार्रवाई की गई थी। निगरानी समिति के निर्देशानुसार परिसर के भूतल पर चल रही शराब की दुकान को 24 जनवरी, 2019 को सील कर दिया गया था। इसके बाद मॉनिटिरंग कमेटी के 24 जुलाई, 2019 के आदेश के अनुसार संपत्ति को सामान हटाकर डी-सील कर दिया गया था, तब से भूतल खाली पड़ा हुआ था।
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