दिल्ली को मिले 1168 करोड़ रुपए, केजरीवाल बोले, बजट ने दिल्लीवासियों को किया निराश, सिसोदिया ने बजट को बताया किसान विरोधी

Last Updated 02 Feb 2022 01:53:44 AM IST

केन्द्र सरकार द्वारा मंगलवार को पेश किए गए बजट 2022 में दिल्ली सरकार को 1168 करोड़ रूपए की राशि मिली है।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

इसमें केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर दिल्ली सरकार को 325 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। केन्द्र सरकार द्वारा अनुशासित प्रदेश (यूटी) को मिलने वाले अनुदान के तौर पर 626 करोड़ रुपए दिए गए हैं। केन्द्र सरकार ने जल बोर्ड को 200 करोड़ की राशि चंद्रावल शोधन संयंत्र के मद में दी है।

 मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना के मुश्किल दौर में देश को बजट 2022-23 से बहुत उम्मीद थी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए केंद्र सरकार ने  निराशाजनक और नकारात्मक बजट पेश किया। इससे लोग निराश हुए। बजट में महंगाई कम करने के लिए भी कुछ नहीं किया गया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस विषय पर मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसान विरोधी यह बजट किसानों के साथ-साथ रोजगार की तलाश करते युवाओं और मध्यवर्ग के खिलाफ है।
एक ओर जहां केन्द्रीय करों में बाकी राज्यों को 42 फीसद की हिस्सेदारी मिलती है, वहीं 21 सालों से दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपए ही दिए जा रहे हैं। यह दिल्ली के प्रति सरकार के नकारात्मक रवैए को दर्शाता है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में एमएसपी का बजट जो पिछले साल के 2.48 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 2.37 लाख करोड़ कर दिया है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की बात कर रही थी, उसके बजाय कृषि का बजट भी कम कर रही है। पिछले साल तक कृषि सेक्टर का कुल बजट में 4.25 फीसद तक हिस्सा था, अब यह 3.84 फीसद ही रह गया है। देश के 60 फीसद लोग आज भी कृषि क्षेत्र से है।

उस दशा में कृषि बजट को कम करना किसानों को चपत लगाना है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पूरा देश दो साल से कोरोना से जूझ रहा है, लेकिन स्वास्थ्य बजट पिछले साल की तरह ज्यों का त्यों बना हुआ है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार जब तक शिक्षा का बजट जीडीपी का 6 फीसद नहीं होता है, तब तक इस पॉलिसी को पूरी तरह क्रियान्वित नहीं की जा सकता। पिछले साल शिक्षा बजट बजट का 2.67 फीसद था। केंद्र सरकार ने उसे घटाकर इस साल 2.64 फीसद कर दिया। साथ ही स्किलिंग का बजट भी 30 फीसद तक घटा दिया है। शिक्षा का घटता बजट शिक्षा के प्रति भाजपा की उदासीनता को दिखाता है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देश में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। आज देश में 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग  बेरोजगार हैं। युवाओं के लिए ये बजट रोजगार लेकर नहीं, बल्कि एक नया जुमला लेकर आया है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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