भरण-पोषण कानून में खामियां : हाईकोर्ट

Last Updated 21 Nov 2021 05:32:47 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भरण-पोषण कानून में ‘कानूनी खामियों’ के कारण उल्लंघन करने वाले पक्षों के बच निकलने पर अपनी चिंता व्यक्त की है।


दिल्ली उच्च न्यायालय

इसने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक व्यक्ति को अपनी ‘पत्नी’ को भरण-पोषण के लिए खर्च देने को कहा गया था, जबकि यह पाया गया कि दोनों पक्षों के दूसरे जीवन साथी हैं।

सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए भुगतान करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें महिला की स्थिति से सहानुभूति है लेकिन वह लागू कानून के अनुसार उसे भरण-पोषण भत्ता नहीं देने के आदेश के लिए विवश हैं क्योंकि दूसरी पत्नी के रूप में उसका विवाह पहली शादी के वैध रहने के कारण अमान्य है, वह कानूनी रूप से विवाहित पत्नी नहीं मानी जाएगी।


 

भाषा
नई दिल्ली


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