क्यों नहीं निगमों को सीधे फंड दे देता केंद्र : हाईकोर्ट

Last Updated 10 Sep 2020 06:11:36 AM IST

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह निगमों को दिल्ली सरकार के माध्यम से राशि देने के बजाए क्यों नहीं सीधे निगमों को अपने हिस्से की रकम दे देता है।


क्यों नहीं निगमों को सीधे फंड दे देता केंद्र : हाईकोर्ट

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश एएसजी चेतन शर्मा से कहा कि वह इस मुद्दे पर संबंधित मंत्रालय के साथ बात करें। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।
पीठ ने यह बात निगम की उस अर्जी पर कही जिसमें उसने कहा था कि दिल्ली सरकार ने अभी तक उसे कई मदों में अपने हिस्से का पैसा नहीं दिया है। पिछले सुनवाई के दिन 18 अगस्त को हाईकोर्ट ने इस विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार सहित निगम के अधिकारियों से कहा था कि वह इस मुद्दे पर आपस में बात करें और इसके बारे में कोर्ट को जानकारी दें। उसने दिल्ली सरकार के 10 हजार करोड रु पए की जीएसटी नहीं देने के मुद्दे पर भी विचार करने को कहा था।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फंड देने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार एवं केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच बातचीत हुई थी और बैठक भी हुई थी, लेकिन उसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है। वह संबंधित अधिकारी से पूछ कर इस पर जवाब देगा।  इस पर केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बैठक में कहा है कि वह वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। इसलिए वह निगम को दिए जाने वाले फंड में 57 फ़ीसद की कमी करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि क्या दिल्ली सरकार अपने किसी और मद के खर्चे में भी इसी तरह की कमी कर रही है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार चाहती है कि वह सब काम दिल्ली सरकार ही करें, जबकि वह खुद अपना दायित्व नहीं निभा रही है।
दिल्ली सरकार ने बैठक में कहा था कि उसने 1529 करोड़ रु पए में से निगम को पहले और दूसरे तिमाही के किस के रूप में से लगभग 15 सौ करोड़ रु पए देने की मंजूरी दे दी गई है। मंजूर किए गए राशि में से1187.67 करोड़ रु पए दे दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि 32 सौ करोड़ रु पए की आईजीएसटी के बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है और इसको लेकर नीति निर्धारित किया जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि 6935 करोड़ रु पए के जीएसटी विवाद को लेकर भी बंटवारे पर भी नियम बनाया जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि फाइनेंस कमीशन के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी में हिस्सा नहीं दिया जा सकता है। यह संवैधानिक व्यवस्था है। इस तरह से दिल्ली सरकार जीएसटी में अपना हिस्सा होने का दावा नहीं कर सकती।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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