राजधानी के पब्लिक स्कूलों में पढ़ाई होगी महंगी, 10 फीसद या ज्यादा बढ़ेगी फीस
राजधानी के पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों पर उनकी शिक्षा के खच्रे का बोझ और बढ़ने जा रहा है। दरअसल स्कूलों में आगामी सत्र 2020-21 में फीस में इजाफा होने जा रहा है।
![]() राजधानी दिल्ली के पब्लिक स्कूलों में पढ़ाई होगी महंगी, 10 फीसद या ज्यादा बढ़ेगी फीस। |
इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों से फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव मांगा है। स्कूलों द्वारा 31 मार्च तक फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव निदेशालय को देना है। स्कूलों के अनुसार कम से कम 10 फीसद तक की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि स्कूलों का कहना है कि कितनी बढ़ोतरी करेंगे, इसको लेकर अभी बैठक करनी है।
राजधानी में करीब 1400 गैर सहायता प्राप्त पब्लिक स्कूल हैं। शिक्षा निदेशालय द्वारा पब्लिक स्कूलों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के अनुसार प्रत्येक स्कूल को शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पूर्व उस सत्र में कितनी फीस ली जानी है, उसकी रिपोर्ट भेजनी है। निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए याद दिलाया है कि प्रत्येकमान्यता प्राप्त स्कूल को सत्र शुरू होने से पूर्व फीस का ब्योरा देना है।
इसमें स्कूल को फीस से होने वाली अनुमानित आय, खच्रे सैलरी, भत्ता आदि का भी हिसाब देना है। यदि कोई भी स्कूल अपनी रिपोर्ट नहीं देता है, तो वह फीस नहीं बढ़ा सकता है और बच्चों से किसी तरह की अतिरिक्त फीस नहीं ले सकता। दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल ने बताया कि उनके यहां 10 फीसद तक फीस की बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन इसको लेकर बैठक की जाएगी।
पीतमपुरा स्थित एमएम पब्लिक स्कूल की प्राचार्य रूमा पाठक ने कहा है कि आगामी सत्र में हम फीस में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम अभिभावकों पर फीस बढ़ोतरी का भार नहीं डालने जा रहे।
पैरेंट्स एसोसिएशन ने किया विरोध : दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने शिक्षा निदेशालय द्वारा 9 महीने देर से स्कूलों से फीस का प्रस्ताव मांगे जाने का विरोध किया है। ऐसे में अभिभावकों से अप्रैल के शुरू में बढ़ी हुई फीस मांगी जाएगी। यदि जून में प्रस्ताव ले लिया जाता तो अभिभावक बढ़ी फीस लेकर सजग रहते। एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता जी गौतम ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिखा है।
गौतम ने कहा कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत बीते जून महीने में फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रस्ताव ले लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वास्तविक रूप से दिल्ली के लगभग हर एक प्राइवेट स्कूल ने हर साल फीस में बढ़ोतरी की है और सातवें वेतन आयोग के नाम पर 2016 से बकाया भी ले चुके हैं। शिक्षा विभाग के पास बहुत सारी शिकायतें लंबित हैं जिनपर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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