कैंसर पीड़ित मां की सेवा को अपराधी नौ साल पहले रिहा
कैंसर से जूझ रही मां की सेवा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने खूंखार अपराधी को नौ साल पहले की जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट की दरियादिली का पात्र बना अपराधी 15 संगीन अपराधों में शामिल था और अदालत पांच मामलों में उसे गुनहगार करार दे चुकी थी।
जस्टिस आर. भानुमति और एएस बोपन्ना की बेंच ने क्रमिक सजा को समाप्त करके सभी सजाओं को एक साथ कर दिया और कुख्यात अपराधी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोबेशन अफसर की रिपोर्ट के आधार पर कुख्यात अपराधी के प्रति नरम रुख अपनाया।
दिल्ली के समाज कल्याण विभाग के प्रोबेशन अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर रिपोर्ट में कहा, विकास उर्फ विक्की का परिवार अत्यंत गरीबी का जीवन जी रहा है। उसका परिवार 50 गज के मकान में 20 साल से रह रहा है।
58 साल का उसका पिता बीमार रहता है और परिवार में एकमात्र वही रोटी कमाने वाला शख्स है। वह बढ़ई है। मां कैंसर से पीड़ित है। गरीबी के कारण उसका उचित इलाज भी नहीं हो पा रहा है। मुजरिम की एक बहन भी है। उसकी शादी हो गई थी, लेकिन घरेलू हिंसा का शिकार होने के कारण वह भी पिछले डेढ़ साल से अपने मायके में रह रही है।
प्रोबेशन अफसर ने मुजरिम के परिवार के सदस्यों के अलावा पड़ोसियों से भी बातचीत की और उन सभी ने कहा, विकास को यदि जेल से रिहा किया जाता है तो उसमें सुधार होगा। समाज को उससे कोई खतरा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उसकी नौ साल की सजा कम की, बल्कि 20 हजार रुपये जुर्माना भी माफ कर दिया।
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