मां के आंचल से टुकुर-टुकुर झांक रही ‘नागरिकता’

Last Updated 24 Dec 2019 02:04:09 AM IST

मां के आंचल में छुप कर टुकुर-टुकुर झांक रही है नन्हीं परी ‘नागरिकता’। ‘नागरिकता’ को आंचल में छुपा कर चूल्हे पर खाना पका रही उसकी मां उसे पुचकारते हुए हिन्दुस्तान की बेटी कह रही है।


मां के आंचल से टुकुर-टुकुर झांक रही ‘नागरिकता’

अनपढ़ मां को भी पता चल गया है कि हिन्दुस्तान में अब रहने के लिए कानूनी हक जल्द मिलने वाला है। अब उन्हें कोई शरणार्थी कह कर नहीं पुकारेगा। वह और उनकी संतान गर्व से अपने आपको हिन्दुस्तानी कहेंगे। आंसू पोंछते हुए ‘नागरिकता’ की मां आरती मोदी के लिए दुआ मांग रही हैं।
दिल्ली स्थित मजनूं का टीला पाक हिन्दू शरणार्थियों का ठिकाना है, जहां करीब 140 परिवार रह रहे हैं। सीएए बनने के बाद यहां के लोग काफी खुश हैं। यहीं एक झुग्गी में ‘नागरिकता’ पैदा हुई है। ‘नागरिकता’ के दादा दयाल दास मार्च 2013 में पाकिस्तान के हैदराबाद (सिंध प्रांत) छोड़कर दिल्ली आए। दयाल दास की पत्नी का नाम मीरा है, पुत्र का नाम ईश्वर लाल और बहू आरती है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान से नागरिक संशोधन कानून पर अपने संबोधन में कहा था कि मजनूं का टीला में ‘नागरिकता’ पैदा हुई है। चर्चा में आई ‘नागरिकता’ को बधाई देने के लिए यहां लोग आ रहे हैं।

‘नागरिकता’ की दादी मीरा कहती हैं, हिन्दुस्तान में ही बहू की कोख हरी हुई। ढाई साल का एक पोता है और 25 दिन की पोती ‘नागरिकता’ है। ‘नागरिकता’ नाम क्यों रखा? इसका जवाब देते हुए मीरा कहती हैं कि मोदी जी ने कोई कानून (वह सीएए नहीं जानती) बनाया है, जिससे हम लोगों को अब हिन्दुस्तान की नागरिकता मिल जाएगी, इसलिए पोती का नाम ‘नागरिकता’ रख लिया। वैसे हम लोगों के यहां सवा महीने पर नामकरण संस्कार किया जाता है, लेकिन कानून जिस दिन बना उसी दिन नामकरण संस्कार कर दिया गया। वह बताती हैं, ‘मेरी एक बेटी का नाम यशोदा और दूसरी का नाम श्रीदेवी है। हाथ जोड़कर विनती है कि आप लोग कानून का विरोध मत कीजिए। हम लोगों को स्वीकार कीजिए। हम लोग मजदूरी करके जीवन पाल लेंगे। हम लोग आपके हैं। मत दुत्कारिए।’ यह कहते-कहते ‘नागरिकता’ की दादी की आंखें भर आई। वह आंगन में लगे तुलसी चौरा पर दीया जलाने चली गई।

रविशंकर तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
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