उपद्रवियों पर कार्रवाई पर रोक नहीं लगेगी : कोर्ट
हाईकोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट |
उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (जेएमआई) के पास हुई हिंसा की जांच किसी स्वतंत्र इकाई से कराने की मांग पर केंद्र व प्रदेश सरकार तथा दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने सभी से इसपर अपना जवाब देने को कहते हुए सुनवाई 4 फरवरी के लिए स्थगित कर दी है।
सुनवाई की अगली तारीख तय होने के बाद याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने जांच पूरी होने तक हिरासत में लिए गए छात्र व अन्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने का निर्देश देने की मांग की। पीठ ने उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया तो कुछ वकीलों ने एक दूसरे की आड़ लेते हुए शेम-शेम कहना शुरू कर दिया।
पीठ जामिया उपद्रव से संबंधित छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिका में जांच पूरी होने तक हिरासत में लिए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने व प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की मांग के साथ उन्हें चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने, घटना की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने, दंगा फैलाने वाले पुलिस अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, छात्रों को मुआवजा देने, उन्हें परिजनों से मिलने देने के साथ उनके वकीलों से मिलने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में हिंसा की जांच सीबीआई या एसआईटी जैसी स्वतंत्र इकाई से कराने की मांग की गई है। साथ ही पुलिस अधिकारियों व कर्मियों पर प्रदर्शन के दौरान अशांति पैदा करने का आरोप लगाया गया है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। उनपर हिंसा के साथ-साथ छात्रों के खिलाफ बर्बरतापूर्वक व्यवहार करने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता ने इस घटना की जांच के लिए तथ्यान्वेषी समिति गठित करने की भी मांग की है। समिति की रिपोर्ट आने तक किसी छात्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने या प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की मांग की गई है।
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