दिवाली पर दिल्ली वालों को मिलेंगे ग्रीन पटाखे

Last Updated 06 Oct 2019 01:38:01 AM IST

इस दिवाली दिल्ली वालों को चोरी छुपे पटाखे खरीदने और फोड़ने के बजाए आधिकारिक तौर पर पटाखे खरीदने को मिलेंगे।


नई दिल्ली के अनुसंधान भवन में ग्रीन पटाखों के पैकेट दिखाते केंद्रीय विज्ञान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हषर्वर्धन।

लोग चालान कटने के डर से मुक्त होकर पटाखे जला सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस और मानकों के अनुसार तैयार किए गए ग्रीन पटाखे दिल्ली में ही मिल सकेंगे। यह पटाखे 30 फीसद कम प्रदूषण फैलाएंगे और इनकी कीमत भी कम होगी।
केंद्रीय विज्ञान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने शनिवार को ग्रीन पटाखे जारी किए। ये ग्रीन पटाखे सीएसआईआर और नीरी के साझा रिसर्च से तैयार किए गए हैं। इन्हें बनाने के लिए सीएसआईआर ने पटाखे बनाने वाली कंपनियों के साथ 230 सहमति पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स (एनडीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

डॉ. हषर्वर्धन ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण कार्य में सीएसआईआर की आठ सहयोगी प्रयोगशालाओं ने भी सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के पटाखों के बारे में फामरूलेशन के बाद पटाखा उत्पादकों ने इसी आधार पर पटाखे बनाए हैं। दिवाली के मौके पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2017 से दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई हुई है। इस दिवाली दिल्ली में हरित पटाखे यानी ग्रीन क्रैकर्स मिलेंगे। पर्यावरण अनुकूल पटाखे देश के अलग-अलग इलाकों में बनकर तैयार हो रहे हैं। पटाखों के सबसे बड़े निर्माता शिवकाशी क्रैकर्स भी ग्रीन क्रैकर्स बना रहे हैं जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगे। डॉ. हषर्वर्धन के अनुसार इन पटाखों में कम प्रदूषण कारक सामाग्री का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि पटाखा उत्पादकों से  सीएसआईआर की तरफ से सुझाए गए फामरुलेशन के आधार पर पटाखे बनाने और बाजार में उतारे जाने से पहले इनकी जांच तथा उत्सर्जन स्तर की  सीएसआईआर-राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (एनईईआरआई) की मान्यता प्राप्त एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच करेंगे। इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम आदि हैं। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांदे ने बताया कि सीएसआईआर ने ग्रीन पटाखों के लिए बेंचमार्क के लिए तकनीकी कानूनी और नीतिगत हस्तक्षेप में अपनी तरफ से योगदान दिया और पारंपरिक पटाखों तथा हरित पटाखों में बेरियम के स्तर की जांच की।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो/भाषा
नई दिल्ली


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