जल संचयन परियोजना को एनजीटी की अनुमति
यमुना बाढ़ क्षेत्र में बाढ़ के पानी को इकट्ठा करने की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की परियोजना को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बृहस्पतिवार को अपनी मंजूरी दे दी है। अब इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।
![]() नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) |
दिल्ली में पेयजल समस्या को दूर करने के लिए यह एक अहम प्रोजेक्ट है जिसमें यमुना बाढ़ क्षेत्र में जल संचय का काम किया जाएगा। पल्ला और वजीराबाद के बीच एक बड़ा जलाशय बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत फ्लडप्लेंस में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएंगे जिनमें बारिश के दौरान यमुना में बहने वाले पानी को इकट्ठा किया जाएगा।
इस परियोजना को अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूआरवाईबी), सीजीडब्ल्यूबी, एनजीटी मॉनिटिरंग कमेटी, दिल्ली सरकार की कैबिनेट व ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति मिल चुकी है। मुख्यमंत्री की पहल पर 45 दिनों में सभी जरूरी मंजूरी मिल चुकी है।
इस पायलट प्रोजेक्ट पर इसलिए बहुत तेजी से काम संभव हो पाया क्योंकि मुख्यमंत्री निजी तौर पर इसकी निगरानी कर रहे थे। यह परियोजना दिल्ली के लिए गेम चेंजर साबित होगी। मुख्यमंत्री द्वारा नियमित निगरानी के बगैर इतने बड़ी और महत्वाकांक्षी परियोजना का गति पकड़ना संभव नहीं था। मुख्यमंत्री इस बात को लेकर आस्त हैं कि केवल पानी का रिसाइक्लिंग और रिचार्ज ही दिल्ली में पानी की कमी की समस्या का समाधान है।
केंद्र की ओर से समय पर अनुमति मिलने से इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए जमीनी कार्यों के लिए पर्याप्त वक्त मिल गया। केंद्र सरकार की ओर से समय पर मंजूरी मिलने और पूर्ण सहयोग के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को धन्यवाद भी दिया था। ये पायलट प्रोजेक्ट न केवल दिल्ली के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गेम चेंजर साबित होगा।
यमुना फ्लड प्लेन में जल संचय का प्रोजेक्ट देश का अपने तरह का पहला प्रोजेक्ट है। पानी के रिसाइकिल और रिचार्ज का कॉन्सेप्ट ज्यादातर विकसित देशों में सुनने को मिलता है। इस परियोजना में आईआईटी दिल्ली, एनआईएच, आईआईटी बॉम्बे, डब्ल्यूएपीसीओएस, दिल्ली विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत यमुना बाढ़ क्षेत्र में भारी मात्रा में पानी इकट्ठा करने की संभावना मौजूद है।
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