दिल्ली पुलिस का हमला बर्बरता का नमूना : हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक ऑटो रिक्शा चालक और उसके नाबालिग बेटे पर पुलिस का हमला उसकी (पुलिस की) बर्बरता का उदाहरण है।
दिल्ली हाईकोर्ट (file photo) |
न्यायमूर्ति जयंत नाथ और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा, ‘यह पुलिस की बर्बरता का उदाहरण नहीं है, तो क्या है?’ पीठ ने पुलिस से इस जांच की अंतरिम रिपोर्ट एक हफ्ते में सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि वह उन पुलिसवालों की पहचान करें जो बच्चे को पीट रहे थे और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करें। पीठ ने गृह मंत्रालय से भी कहा कि क्या इसको लेकर कोई जांच की गई है। अगर जांच हुई है तो वह भी इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करे। पीठ ने मीडिया को भी मना किया कि वह बच्चे की पहचान जाहिर नहीं करे। कोर्ट ने कहा कि वह चाहता है कि पुलिस पूरी तरह से कानून का पालन करे।
सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर उसके अपराध शाखा को सौंप दिया गया है। इसकी जांच संयुक्त पुलिस आयुक्त के अधिकारी कर रहे हैं। इस मामले में तीन पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है। कोर्ट ने मारपीट का वीडियो देखने के बाद कहा कि इस घटना में आठ-नौ पुलिस वाले दिख रहे हैं। आपने क्या कार्रवाई की। कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के पेश विडियो देखने के बाद किया।
उसने अधिवक्ता से पूछा कि इस विडियो की विसनीयता क्या है। यह कहा से ली गई है। अधिवक्ता ने जवाब दिया कि मारपीट के दौरान वहां खड़े दर्शकों ने यह वीडियो बनायी है और उसे मीडिया पर भी दिखाया गया है। इसके बाद उन्होंने वीडियो पेश कर दी थी। कोर्ट ने वीडियो देखा और कहा कि पुलिस में कई अधिकारी हैं, अगर कोई अधिकारी स्थिति को संभालने में नाकाम रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। वीडियो में पुलिस का व्यवहार ज्यादती को दिखाता है। बच्चे के साथ ज्यादती करने वाले पुलिस वालों की पहचान होना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई। यह घटना 16 जून की उत्तर पश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके की है।
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