आयोग के फैसले के बाद आप पर विपक्ष हुआ हमलावर

Last Updated 24 Jun 2017 07:16:06 PM IST

चुनाव आयोग द्वारा आज आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों के लाभ के पद से जुड़ी शिकायत को खारिज करने संबंधी अर्जी ठुकराये जाने के बाद विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने आप पर हमला तेज कर दिया है.


दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (फाइल फोटो)

आप के  21 विधायकों की संसदीय सचिव के तौर पर नियुक्ति को एक तथ्य के रूप में स्वीकार किये जाने के आयोग के फैसले के हवाले से भाजपा और कांग्रेस ने इसे लाभ के पद पर नियुक्ति के दायरे में ही बताते हुये आप से इन विधायकों  के इस्तीफा लेने की मांग की है जबकि आप ने विपक्ष की मांग को ठुकराते हुये कहा है कि विपक्ष इस फैसले की गलत व्याख्या कर रहा है. 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आज कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के बाद चुनाव आयोग ने भी आप विधायकों की बतौर संसदीय सचिव नियुक्ति को लाभ के पद के दायरे में बताया है. तिवारी ने इसका स्वागत करते हुये कहा है कि अब इन विधायकों के पास विधानसभा सदस्य बने रहने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं बचा है. इसके मद्देनजर तिवारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इन विधायकों का इस्तीफा दिलाने की मांग की.



इससे पहले आप द्वारा आयोग के फैसले पर व्यक्त की गयी प्रतिक्यिा में कहा गया है कि इस आदेश का गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति के आदेश को रद्द घोषित कर दिया था. इसलिए आयोग में लंबित याचिका पर सुनवाई व्यर्थ है. पार्टी के बयान में कहा गया है कि आयोग ने शिकायत पर सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है. इसे सक्षम अदालत में चुनौती देने के सभी विकल्प पार्टी के पास उपलब्ध हैं.

इस बीच आयोग के फैसले के बाद आप विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ने की सोशल मीडिया पर चल रही आशंकाओं पर आप नेता दिलीप पांडे ने स्पष्टीकरण जारी किया है. पांडे ने कहा कि आयोग का आज का फैसला आप विधायकों की उस अपील पर आया है जिसमें विधायकों ने दलील दी थी कि  उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आयोग लाभ के पद के मामले में अब सुनवाई नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि आप विधायक जल्द ही आयोग के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.

भाषा


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