मप्र में सत्ता की चाबी 16 बागी विधायकों के हाथ!

Last Updated 16 Mar 2020 07:34:03 PM IST

मध्य प्रदेश की सियासत विधायकों के अंकगणित पर आकर ठहर गई है, जिसने यह गणित अपने पक्ष में कर लिया सत्ता उसके हाथ में होगी और जो चूक गया, सत्ता उससे दूर ही रहेगी।


मध्य प्रदेश की सियासत

इस अंकगणित को मजबूत करने में कांग्रेस के बागी 16 विधायकों की बड़ी भूमिका है और सत्ता की चाबी उन्हीं के हाथ नजर आ रही है।

राज्य में बीते 10 से ज्यादा दिन सियासी ऊहापोह के बीच गुजरे हैं। आने वाले दिनों में भी यही हाल रहने वाला है, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता। भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों ने बगावत कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इनमें से छह का इस्तीफा मंजूर किया जा चुका है, इस तरह 16 विधायकों का इस्तीफा अब भी मंजूर या नामंजूर नहीं हुआ है। यह 16 विधायक अपना इस्तीफा मंजूर करने का विधानसभाध्यक्ष एन पी प्रजापति से अनुरोध कर चुके हैं।

राज्यपाल लालजी टंडन ने 14 मार्च को मुख्मयंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था, मगर ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि जब विधायक बंदिश में हैं तो फिर फ्लोर टेस्ट का क्या औचित्य है।

विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों मे से दो स्थान रिक्त हैं, छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जा चुके हैं, अब सदन में कांग्रेस के 108, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक हैं। कांग्रेस के कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसमें छह का इस्तीफा मंजूर हो चुका है अगर 16 विधायकों का भी इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कांग्रेस के पास 92 विधायक बचेंगे। अगर कांग्रेस को सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल भी रहता है तो विधायक संख्या 99 ही हो पाती है।

राज्य की विधानसभा में 228 में से 22 विधायकों को कम किए जाने पर विधायकों की कुल संख्या 206 रह जाएगी और बहुमत के लिए 104 सदस्यों की जरूरत होगी, इस तरह भाजपा के पास बहुमत से तीन ज्यादा होंगे और कांग्रेस के पास बहुमत से पांच कम।

भाजपा ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को 106 विधायकों के शपथ पत्र देने के साथ परेड भी करा दी और दावा किया है कि राज्य में कमलनाथ सरकार अल्पमत में है। भाजपा को वर्तमान स्थिति में बहुमत है।

राज्यपाल टंडन ने दोबारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। साथ ही कहा है कि संवैधानिक और लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए मंगलवार 17 मार्च तक मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराएं और बहुमत साबित करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत नहीं है।



भाजपा द्वारा कांग्रेस को बहुमत न होने की बात पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "भाजपा को लगता है कि उनके पास बहुमत है तो वो अविश्वास प्रस्ताव लाएं, उन्हें रोका किसने है, हम अपना बहुमत साबित करेंगे।"

आईएएनएस
भोपाल


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