मध्य प्रदेश: इंदौर से अमेरिकी नागरिकों को ठगने का चल रहा था कारोबार, 78 गिरफ्तार

Last Updated 12 Jun 2019 04:46:25 PM IST

खालिस अमेरिकी उच्चारण वाली फर्राटेदार अंग्रेजी और आवाज में कड़क अफसरों जैसा रौब-रुआब, ऑनलाइन ठगी की इस शातिर शैली के बूते अमेरिकी नागरिकों को चूना लगाने वाले तीन कॉल सेंटरों का यहां मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते ने खुलासा किया है।


गिरोह के 78 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें 19 युवतियां शामिल हैं।   

राज्य साइबर सेल की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि विजय नगर क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधि की सूचना पर गिरोह के सरगना जावेद मेनन (28) और 77 अन्य आरोपियों को कल मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों में ज्यादातर टेलीकॉलर हैं जिनके जरिये 25-25 सीटों वाले तीन कॉल सेंटर चलाये जा रहे थे। गिरोह के कब्जे से 60 कम्प्यूटर, 70 मोबाइल फोन, सर्वर और अन्य गैजेट बरामद किये गये हैं। इनके पास अमेरिका के करीब 10 लाख अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नम्बर, मोबाइल नम्बर और अन्य गोपनीय डेटा मिला है।   

उन्होंने बताया, "महज आठवीं पास मेनन गुजरात के अहमदाबाद का रहने वाला है। वह इंदौर में साल भर से अंतरराष्ट्रीय ठगी के कॉल सेन्टर चला रहा था। उसके गिरोह में शामिल टेलीकॉलर दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्यों के हैं और उनकी उम्र 18 से 32 वर्ष के बीच है। उन्हें अमेरिकी उच्चारण वाली अंग्रेजी बोलने का खास प्रशिक्षण हासिल है।"   

सिंह ने बताया कि गिरोह के टेलीकॉलर अमेरिका में रहने वाले लोगों को विशेष सॉफ्टवेयर के जरिये इंदौर से वॉइस मैसेज भेजते थे और फोन कॉल करते थे। लेकिन शिकार के मोबाइल फोन पर अमेरिका का फर्जी नम्बर डिस्प्ले होता था। टेलीकॉलर खुद को कथित तौर पर अमेरिका के सामाजिक सुरक्षा विभाग की सतर्कता इकाई के अधिकारी बताकर वहां के नागरिकों को झांसा देते थे कि उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर का उपयोग धनशोधन और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया।    

पुलिस अधीक्षक के मुताबिक आरोप है कि टेलीकॉलरों द्वारा अमेरिकी लोगों से कहा जाता था कि मामले को रफा-दफा करने के लिये उन्हें कुछ रकम चुकानी होगी। वरना उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर को ब्लॉक कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी।   

उन्होंने बताया, "ठग गिरोह द्वारा इस तरीके से अमेरिकी लोगों को डरा-धमकाकर उनसे प्रति शिकार के मान से 50 डॉलर से लेकर 5,000 डॉलर तक की राशि गिफ्ट कार्ड, बिटकॉइन और अन्य ऑनलाइन भुगतान माध्यमों से वसूली जा रही थी। वे ठगी के जाल में फंसे लोगों से अमेरिकी बैंक खातों में भी रकम जमा कराते थे। बाद में ठगी की रकम दलालों को 40 प्रतिशत का कमीशन चुकाकर हवाला के जरिये भारत में प्राप्त की जाती थी।"     

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ठग गिरोह में भारत के अलावा अन्य देशों के बदमाशों के भी शामिल होने का संदेह है। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) को मामले की सूचना दी जा रही है।     

उन्होंने यह भी बताया कि गिरोह के सरगना मेनन और दो अन्य आरोपियों-भाविल प्रजापति (29) और शाहरुख मेनन (25) को एक स्थानीय अदालत के आदेश पर पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। ये तीनों लोग 14 जून तक पुलिस हिरासत में हैं, जबकि ठगी के कॉल सेंटरों से जुड़े शेष 75 आरोपियों को न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया है।     

पुलिस ने यहां पिछले साल अगस्त में अंतरराष्ट्रीय ठगी के ऐसे ही कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए 22 नौजवानों को गिरफ्तार किया था। यह गिरोह भी अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नंबरों को खतरे में बताकर उन्हें ठगता था।

भाषा
इंदौर


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