बैंकों के निजीकरण से किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी : कांग्रेस

Last Updated 06 Feb 2021 04:30:21 PM IST

झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि बैंकों के लगातार हो रहे निजीकरण से किसानों पर आने वाले समय में दोहरी मार पड़ेगी


आलोक कुमार दूबे(फाइल फोटो)

पार्टी प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने यहां कहा कि पूरे देश में किसान एक ओर जहां कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनरत है तो दूसरी तरफ बैंकों के लगातार हो रहे निजीकरण से भी किसानों पर आने वाले समय में दोहरी मार पड़ेगी। उन्होंने 51 साल पुराने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फैसले को पलटने की कोशिश को गंभीर साजिश बताया और कहा कि बैंकों के निजीकरण देश के किसानों और कृषि जगत के लिए खतरनाक साबित होगा।

दूबे ने कहा कि वर्ष 2017 तक देश में 27 सरकारी बैंक थे, लेकिन एक-एक कर कर विलय के नाम पर खत्म किया जा रहा है। केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों ने देश में 12 सरकारी बैंकों की संख्या को कम कर चार करने का साफ संकेत दिया है। बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैसला गरीबी दूर करने और कृषि क्षेा में निवेश को बढ़ावा देने के मकसद से लिया गया था। 1969 से पहले निजी बैंक सिर्फ कॉरपोरेट को लोन देते थे और इस दौरान बैंकिंग लोन में कृषि की हिस्सेदारी महज दो प्रतिशत थी, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सराहनीय फैसले से बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ और उसके बाद के वर्षों में कृषि लोन की हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोत्तरी हुई। 

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके बैंकिंग सेक्टर के लिए नए दरवाजे खोले, लेकिन हाल के कुछ सालों में जो बैंकिंग सेक्टर की हालत हुई है वो कुछ और ही इशारा कर रही है। बैंक लगातार बड़े कॉरपोरेट घरानाओं को अरबों रुपये का लोन दे रही है और वह लोन बाद में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स)  हो रहा है।

दूबे ने कहा कि एक ओर नये कृषि कानून लाकर एक ओर जहां किसानों के अधिकारों पर कुठाराघात किया गया है, वहीं बैंकों के निजीकरण हो जाने के बाद छोटे गरीब किसानों को कृषि लोन भी मिलना बंद हो जाएगा। बैंकों का निजीकरण होने से कृषि लोन भी सिर्फ कॉरपोरेट घरानों को ही मिल पाएगा, किसानों की स्थिति और दयनीय हो जाएगी।

प्रवक्ता ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से किसानों के साथ ही सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम उद्योग में लगे लोगों को भी लोन नहीं मिल जाएगा, बैंकिंग संस्थान सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम करेगी और आम आदमी की मुश्किलें बढ़ती जाएगी।

वार्ता
रांची


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment