झारखंड : सारंडा वनक्षेत्र में महिलाएं भी बन रहीं कोरोना-योद्धा
कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए चल रहे महाबंद के बीच लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने और महिलाओं के सशक्तीकरण खातिर झारखंड में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मुहिम छेड़ दी है।
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इस मुहिम में शामिल होकर स्थानीय महिलाएं भी अब कोरोना-योद्धा बनकर कार्य कर रही हैं।
चाईबासा जिले के सारंडा वन प्रमंडल के समता प्रक्षेत्र, जाराईकेला में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (जलछाजन विकास) के द्वारा प्रवेशमूलक गतिविधि के तहत महिलाओं को सिलाई मशीन का वितरण किया गया है। सिलाई मशीन मिलने के बाद महिलाएं मास्क बनाकर अब कोरोना की जंग में अपनी सहभामिता निभा रही हैं।
विभाग द्वारा 8 गांवों- मकरांडा, फुलवारी, सागजोरी, समता, पंचपहिया, दीघा, रैरा, छोटा सागजोरी में 30 सिलाई मशीन का वितरण किया गया है। सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रजनीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना वायरस से बचने के लिए इन सिलाई मशीनों के द्वारा मास्क बनाने का काम शुरू कराया गया है। उन्होंने बताया कि इनके द्वारा बनाए गए मास्क ग्रामीणों व मजदूरों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया, "सिलाई मशीन मिल जाने के बाद इन महिलाओं को अब आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा और अपनी आय में भी वृद्धि कर सकेंगी। ये सिलाई मशीन इन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगी।"
उन्होंने बताया कि फिलहाल इन महिलाओं द्वारा प्रतिदिन 500 मास्क बनाए जा रहे हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर ही बेचा जा रहा है। भविष्य में मास्क निर्माण में वृद्धि की संभावना को देखते हुए इसकी बिक्री के लिए अलग-अलग आस्पतालों से भी संपर्क किया जा रहा है।
समता वन क्षेत्र पदाधिकारी सुधीर लाल ने बताया कि समता प्रक्षेत्र के अंतर्गत कुल 8 गांवों में 12 स्वयंसहायता समूह को लगभग 30 सिलाई मशीनें बांटी गई हैं। फिलहाल कोरोना के प्रकोप को देखते हुए लाभार्थियों से मास्क तैयार कराए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "समूह को आय के लिए यह संसाधन उपलब्ध कराया गया है, ताकि सहायता समूहों का उत्थान किया जा सके।"
जलछाजन विकास के इंजीनियर राजकुमार पिंगुआ ने बताया कि इन महिलाओं को पहले सिलाई का प्रशिक्षण दिलवाया गया था और इसमें दक्ष होने के बाद इन्हें सिलाई मशीन उपलब्ध करवाई गई। फिलहाल 12 स्वयंसहायता समूहों को सिलाई मशीन वितरित की गई है। भविष्य में इन्हें और सिलाई मशीन देने की योजना है।
पिंगुआ ने बताया कि सिलाई मशीन से ये महिलाएं ग्रामीणों के कपड़े भी सिल सकते हैं, जिससे उनकी आय बढ़ेगी। जलछाजन विकास समिति के सदस्यों द्वारा समय-समय पर सिलाई मशीन की देखरेख की जाएगी।
फुलवारी गांव की विद्या स्वयंसहायता समूह की सदस्य पिंकी मिंज ने कहा, "मुझे तीन सिलाई मशीनें व कपड़े दिए गए हैं, जिससे करोना जैसे विश्वव्यापी महामारी से बचाव के लिए मास्क बना रही हूं। ग्रामीणों को सस्ती दरों पर मास्क उपलब्ध करवा रही हूं। इससे होने वाले लाभ से स्वयंसहायता समूह का भी उत्थान होगा।"
उन्होंने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग को धन्यवाद दिया।
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