झारखंड में रोकी गयीं एक सप्ताह में 26 नाबालिग लड़कियों की शादियां
नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के बाल प्रतिष्ठान ने पिछले एक सप्ताह के दौरान झारंखड में 26 नाबालिग लड़कियों की जबरन शादियां रुकवाने में कामयाबी हासिल की है.
फाइल फोटो |
प्रतिष्ठान के आज दिल्ली में जारी विज्ञप्ति के अनुसार 12 से 15 साल की उम्र की इन लड़कियों की उनसे दोगुनी उम्र के शादीशुदा व्यक्तियों के साथ जबरन शादी की जा रही थी. इनमें एक लड़की की उम्र सिर्फ 11 वर्ष थी.
कोडरमा की चौदह साल की रेखा कुमारी ने अपने विवाह के विरुद्ध सबसे पहले आवाज बुलंद की और उसने विवाह को रुकवाने के लिए प्रतिष्ठान से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया. उसने कहा कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है. रेखा के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की सहायता से प्रतिष्ठान ने विवाह के दिन उसकी शादी को रुकवाया.
प्रतिष्ठान का कहना है कि झारखंड में बाल विवाह अधिनियम,2006 के अनुसार बाल विवाह प्रतिबंधित है, इसके बावजूद वहां धड़ल्ले से बाल विवाह हो रहे हैं. वर्ष 2010-11 के वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार बाल विवाह के मामले में झारखंड का देश में तीसरा स्थान है. वहां 51.8 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में कर दिया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि झारखंड इस क्षेत्र के उन राज्यों में शामिल है, जहां बाल विवाह सबसे ज्यादा होते हैं और पिछले 10 वर्ष में वहां बाल विवाह के औसत मामले 50 प्रतिशत से कम नहीं हुए हैं. बाल विवाह के मामले में बिहार और राजस्थान क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं.
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