झारखंड : पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया प्रकृति का पर्व 'सरहुल'
प्रकृति का पर्व 'सरहुल' राजधानी रांची समेत सभी प्रमुख शहरों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.
प्रकृति का पर्व 'सरहुल (फाइल फोटो) |
इस अवसर पर आदिवासी समुदाय ने राजधानी रांची समेत सभी प्रमुख शहरों में सैकड़ों झांकियां निकालीं और मांदर एवं नगाड़े के साथ नृत्य किये.
प्रकृति की पूजा से जुड़ा़ आदिवासी पर्व सरहुल समस्त झारखंड में जबर्दस्त उमंग एवं उत्साह के साथ मनाया गया. विभिन्न टोलों से आदिवासी पूजा स्थल के लिए ट्रकों, बसों और छोटी गाड़ियों में सजी झांकियां निकाली गयीं.
झांकियों के साथ सैकड़ों युवक एवं युवतियां गाते और मांदर की थाप पर नृत्य करते हुए चल रहे थे. झांकियों के साथ आदिवासी पुरोहित पाहन भी पारंपरिक वेश भूषा धोती, चद्दर अथवा कुर्ते में शामिल थे.
रांची में दोपहर बारह बजे से ही झांकियां निकालने का क्रम प्रारंभ हो गया था और रात्रि साढ़े दस बजे तक यह क्रम जारी रहा.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि सरहुल के दौरान कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है. राजधानी रांची में शांति और सौहार्द के माहौल में सरहुल का पर्व संपन्न हो गया.
इसी प्रकार राज्य के प्रमुख शहरों बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग, गोड्डा, पलामू, गढ़वा एवं दुमका आदि से भी सरहुल का पर्व उत्साह एवं उमंग के साथ मनाये जाने की सूचना मिली है.
राज्यपाल द्रौपदी मुमरू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, नगर विकास एवं परिवहन मंत्री सीपी सिंह ने लोगों को सरहुल की शुभकामना दी और कहा कि यह प्रकृति के साथ मानव के सामंजस्य एवं पर्यावरण की रक्षा का संदेश देने वाला पर्व है.
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