छत्तीसगढ़ में किन्नरों ने की शादी

Last Updated 31 Mar 2019 02:48:48 AM IST

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर अनोखी शादी का गवाह बना है। अनोखी इसलिए कि इस शहर में शनिवार को 15 किन्नर शादी कर अपने पारिवारिक जीवन की शुरूआत कर रहे हैं।


छत्तीसगढ़ में किन्नरों ने की शादी (file photo)

शहर के पचपेड़ी नाका क्षेत्र में स्थित पुजारी पार्क में स्थित विवाह भवन में अनेकों शादियां हुई हैं, लेकिन यहां 15 अनूठे जोड़े शादी के बंधन में बंध गए हैं।

किन्नर जिनसे सामाजिक रूप से बहिष्कृत जैसा व्यवहार किया जाता है, वह आज अपनी शादी को लेकर खुश हैं और उनकी आंखों में भविष्य को लेकर कई सपने हैं।
ऐसे ही कुछ सपनों को साझा करते हुए सलोनी अंसारी :33 वर्ष: बताती हैं कि लगभग आठ साल पहले वह गुलाम नबी से मिली थी। मुलाकात दोस्ती में बदली और यह दोस्ती कब प्रेम में बदल गया पता ही नहीं चला। लेकिन, इस दौरान उन्हें अपने परिवार और समाज की बेरूखी का भी सामना करना पड़ा।
वधू के पारंपरिक परिधान में सजी धजी सलोनी कहती है ‘‘कहते हैं किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश करती है।‘‘

शाहरूख खान की फिल्म ‘‘ओम शांति ओम‘‘ के इस डायलाग के बाद सलोनी खिलखिला उठती है। गुलाम भी उसका साथ देते हैं।
पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से नागपुर शहर के रहने वाले सलोनी और गुलाम बताते हैं कि पहले उन्होंने सोचा कि इस संबंध को छुपाकर रखा जाए। लेकिन जब उन्होंने हिम्मत कर इसकी जानकारी अपने परिवार वालों को दी तब वह इसके खिलाफ हो गए।

जब वर्ष 2014 में, उच्चतम न्यायालय ने किन्नरों को तृतीय लिंग के रूप में मान्यता दी और उनके लिए संवैधानिक अधिकार और स्वतंत्रता सुनिश्चित की तब उन्होंने साथ रहने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया।
सलोनी कहती है कि त्योहारों और अन्य अवसरों के दौरान वह अपने परिजनों से मिलते रहे और बाद में उन्हें मना लिया।
परिवार को इस रिश्ते के बारे में समझाना बहुत मुश्किल था कि अन्य व्यक्तियों की तरह एक किन्नर भी प्यार चाहता है और विवाहित जीवन जीने का अधिकार रखता है।
वह बताती है कि गुलाम और उसने कई बार शादी करने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास बेकार गए। जब उन्होंने रायपुर में इस कार्यक्रम के बारे में सुना तब तुरंत आयोजकों से संपर्क किया।
नागपुर में एक ठेकेदार के रूप में काम करने वाले गुलाम नबी (28 वर्ष) अपनी खुशी को छिपा नहीं सके और कहने लगे कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि नागपुर से लगभग तीन सौ किलोमीटर दूर रायपुर में उनके सपने सच होंगे।
रायपुर में रहने वाली किन्नर इशिका की कहानी सलोनी से थोड़ी अलग है। इशिका से प्रेम होने के बाद पंकज नागवानी ने इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी तब पकंज के परिवार वालों ने इशिका को सहर्ष अपना लिया।
पंकज की मां राधा कहती हैं ‘‘मैंने इशिका को पहले ही अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया है। मै उन लोगों की परवाह नहीं करती हूं जो मेरे बेटे को उसके रिश्ते को लेकर ताना मारते हैं।‘‘
किन्नरों की शादी और उनके जीवन में उमंग लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली विद्या राजपूत जो स्वयं किन्नर और सामाजिक कार्यकर्ता है कहती है कि यह शादी समाज की मानसिकता को बदलने और एक संदेश देने के लिए है कि किन्नरों को भी प्यार और शादी करने का अधिकार है।
राजपूत कहती हैं कि बचपन से हमने देखा था कि मां और पापा, भैया और भाभी, दीदी और जीजा की जोड़ी थी। लेकिन किन्नरों को परिवार का उपेक्षित हिस्सा माना जाता था और कोई भी उनकी जोड़ी के बारे में नहीं सोचता था। यह हमारे भीतर अकेलेपन और एक तरह के सामाजिक बहिष्कार का गहरा दु:ख था।
इसलिए हमने लोगों को संदेश भेजने के लिए ट्रांसजेंडर के लिए सामूहिक विवाह आयोजित करने का फैसला किया। जिससे लोगों को महसूस हो कि अन्य नागरिकों की तरह हमें भी प्यार करने और शादी करने का अधिकार है।
उन्होंने बताया कि इस साल वेलेंटाइन डे पर हम ऐसे ट्रांसजेंडर से मिले जो पहले से ही पुरुषों के साथ रिश्ते में थे, लेकिन अभी तक शादी नहीं की थी। हमने देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे जोड़ों से संपर्क किया।
राजपूत ने बताया कि 55 जोड़ों में से उन्होंने 15 को सामूहिक विवाह में शामिल करने का फैसला किया। इनमें से छत्तीसगढ के सात, गुजरात, मध्यप्रदेश और बिहार के दो-दो और महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के एक-एक ट्रांसजेंडर शामिल हैं।

भाषा
रायपुर


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment