देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्म धरती पर सजा भोजपुरी कवियों का मंच, ओज और देश भक्ति की कविताएं सुन रोमांचित हुए दर्शक

Last Updated 27 Oct 2023 01:06:57 PM IST

दशहरा के पावन पर्व पर आयोजित भोजपुरी कवि सम्मेलन में सिवान की धरती से बही देश भक्ति की धारा।


सम्मानित होते हुए भोजपुरी कवि सत्येंद्र सिंह" सिवानी"

"जे तनमन जवानी लुटवले बाटे, देश खातिर जे गर्दन कटवले बाटे,

ओकरी पावन चरन में झूकल अ माथ बा,जे बेदना के बंदना बनवले बाटे।।"

देश भक्ति की यह रचना बिहार के मशहूर भोजपुरी कवि सत्येंद्र सिंह "सिवानी"की है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जन्मस्थली जिरादेई की "श्री दुर्गा पूजा समिति ठेपंहा"द्वारा दशहरा के पावन पर्व पर आयोजित भोजपुरी कवि सम्मेलन में जब उन्होंने यह रचना पढ़ी तो दर्शक दीर्घा में बैठे सभी लोग रोमांचित हो उठे। सबने जोरदार तालियों से सत्येंद्र सिंह का स्वागत किया।

हालांकि इस कवि सम्मेलन में एक से बढ़कर एक अच्छी-अच्छी कविताएं पढ़ीं गईं। लेकिन सबसे ज्यादा दाद मिली सत्येंद्र सिंह "सिवानी को। इस सम्मेलन में हृदयानंद मिश्रा "चोखा" की रचना "स्वारथ के संहतिया, मौका पर मुकर जाई, ईमानदारी के धन घटि ना, उबर जाई" ,विद्यानंद चौबे "रसिक" की रचना "सरस्वती वंदना, जयराम पांडे "बिहंग" की हास्य रस की रचना "जनगण अधिनायक भइलें अपराधी के नौकर, भारत भाग्य विधाता खालें गली-गली में ठोकर" और आनंद प्रकाश आनंद की रचना "मैं मौन मंत्र का मूरत हूँ, अधरों को अपने खोलूँ क्या,तुमही बोलो मैं बोलूं क्या"आदि रचनाओं को भी दर्शकों ने खूब सराहा।

कवि सम्मेलन का खूबसूरत संचालन आनंद प्रकाश आनंद ने किया जबकि सम्मेलन की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रवक्ता हेमंत बाबू ने की। इस कवि सम्मेलन को सफल बनाने के लिए समिति के अध्यक्ष रघुनाथ चौधरी, सचिव विशाल सिंह" सरपंच",के अलावा नागेंद्र यादव,राजकुमार पांडे,हरेंद्र भारती, अजय यादव,सत्येंद्र भारती, भृगुनाथ प्रसाद, कयूम अंसारी (मुखिया के पति),अर्जुन प्रसाद और अवधेश कुमार सिंह ने जो प्रयास किया, उसकी चारों तरफ प्रशंसा हो रही है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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