चारा घोटाला मामला: लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की जेल की सजा, 10 लाख जुर्माना

Last Updated 06 Jan 2018 04:00:50 PM IST

रांची की एक सीबीआई अदालत ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद और दस लाख जुर्माने की आज सजा सुनाई.


फाइल फोटो

अदालत ने लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद और बीस लाख रुपये के जुर्माने और बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद और दस लाख जुर्माने की सजा सुनायी.

फैसला आने के बाद लालू के पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पटना में कहा कि हम लालू प्रसाद की दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपील दायर करेंगे. 

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, आर के राणा, जगदीश शर्मा और तीन वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 अभियुक्तों की सजा पर विशेष सीबीआई अदालत का फैसला आज शाम साढ़े चार बजे आया. अदालत ने सजा की घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की और सभी अभियुक्तों को बिरसामुंडा जेल में ही वीडियो लिंक से अदालत के सामने पेश कर सजा सुनायी गयी.

इससे पूर्व आज दिन में दो बजे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राजद के दूसरे नेता आर के राणा और अन्य सभी आरोपियों की पेशी सजा सुनने के लिए जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करने के निर्देश दिये थे. अपने आदेश के लिए अदालत ने शाम चार बजे का समय निर्धारित किया था.

अदालत ने सजा के बिंदु पर कल लालू के वकीलों की बहस सुनी जिसमें उन्होंने बार बार उनकी लगभग सत्तर वर्ष की उम्र होने और बीमार होने की दुहाई दी थी.अदालत ने एक-एक कर बाद में अन्य शेष सात अभियुक्तों की भी सजा के बिन्दु पर उनकी उपस्थिति में बहस सुनी थी.

लालू यादव को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 467, 471और 477ए के तहत जहां साढ़े तीन वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी वहीं उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13(2) के तहत 13(1) सी और डी के आधार पर दोषी करार देते हुए भी अलग से साढ़े तीन वर्ष की कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. अदालत ने बाद में स्पष्ट किया कि लालू की दोनों सजायें एक साथ चलेंगी. जुर्माना न अदा करने की स्थिति में लालू यादव को छह माह अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी.

इसी प्रकार, बिहार के पूर्व मंत्री और लालू के निकट सहयोगी रहे आर के राणा को अदालत ने भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी पाते हुए साढ़े तीन वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. उन्हें भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13: 2: के तहत अलग से साढ़े तीन वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी. राणा की भी दोनों सजायें एक साथ चलेंगी. अदालत ने बिहार की लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष कैद और कुल बीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.

इसके अलावा अदालत ने तीन पूर्व वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों महेश प्रसाद, फूलचंद और बेक जूलियस को साढ़े तीन-साढ़े तीन वर्ष कैद और पांच-पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी. सजा की अवधि तीन वर्ष से अधिक होने के चलते अब इन तीनों नेताओं और आइएएस अधिकारियों को जमानत के लिए झारखंड उच्च न्यायालय का रख करना होगा.

लालू प्रसाद के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि अदालत ने तर्क आधारित निर्णय नहीं दिया है और वह जमानत के लिए अगले सप्ताह ही झारखंड उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. फिलहाल लालू और अन्य सभी 15 दोषियों को बिरसा मुंडा जेल में ही रहना होगा. विशेष सीबीआई अदालत ने सरकारी अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद को सात वर्ष कैद, बीस लाख रुपये जुर्माना, सुनील गांधी को सात वर्ष कैद, दस लाख रुपये  जुर्माना, सुबीर भट्टाचार्य को साढ़े तीन वर्ष कैद और दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.

इसके अलावा अदालत ने चारा आपूर्तिकर्ता राजाराम जोशी को साढ़े तीन वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने,  सुनील कुमार सिन्हा और सुशील कुमार सिन्हा को साढ़े तीन वर्ष कैद तथा पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.

अदालत ने चारा आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, संजय अग्रवाल, गोपीनाथ दास और ज्योति झा को सात वर्ष कैद और दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.

1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी 64 बटा1996 दर्ज किया था और लगभग 21 वर्षों बाद इस मामले में 23 दिसंबर को फैसला आया था.

सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को लालू प्रसाद समेत तीन नेताओं, तीन आइएएस के अलावा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, मोबाइल पशु चिकित्साधिकारी सुबीर भट्टाचार्य और आठ चारा आपूर्तिकर्ताओं सुशील कुमार झा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सुनील गांधी तथा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को अदालत ने दोषी करार देकर जेल भेज दिया था.

इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ सत्तर लाख रुपये की अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद, जगदीश शर्मा, राणा, पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्रा समेत आज के मामले के कई आरोपियों को सजा हो चुकी है.

देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े के मामले से जुड़े इसी मुकदमे में 23 दिसंबर को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष धुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था.

इससे पूर्व जब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा तो सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालत को इसकी सुनवाई नौ माह में पूरी करने के निर्देश दिये थे.  इस मामले में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीष शर्मा और धुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस और महेश प्रसाद और 29 अन्य आरोपी थे.

सभी 38 आरोपियों में से सुनवाई के दौरान जहां 11 की मौत हो गयी वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी.

लालू प्रसाद प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्टूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने और चार वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है.

लालू के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें आज उन्हें सजा सुनायी गयी है. इस आदेश के आने के बाद अब लालू आदतन अपराधी की श्रेणी में आ गये हैं.

इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा आरसी 47 बटा 96, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी का आरसी 38 बटा 96 और चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा आरसी 68 बटा 96 के मुकदमे अभी चल रहे हैं जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.

भाषा


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