एक ऐसा पेट्रोल पंप जहां हत्या के मामलों के सजायाफ्ता कैदी भर रहे वाहनों में ईंधन

Last Updated 06 Feb 2021 03:58:13 PM IST

मध्यप्रदेश के जेल विभाग ने अनूठे प्रयोग के तहत यहां शनिवार से अपना पेट्रोल पम्प शुरू किया। यह राज्य भर में इस विभाग का पहला पेट्रोल पम्प है जिसमें अच्छे आचरण वाले सजायाफ्ता कैदी वाहनों में ईंधन भरते नजर आ रहे हैं।


कैदी भर रहे वाहनों में ईंधन (प्रतिकात्मक फोटो)

 विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर कैदी ऐसे हैं जिन्हें हत्या के अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।     

जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग के नवनियुक्त महानिदेशक अरविंद कुमार ने शहर के केन्द्रीय जेल के पास इंडियन ऑयल कॉपरेरेशन लिमिटेड से जुड़े पेट्रोल पम्प का उद्घाटन किया। इस दौरान राज्य के जेल विभाग के प्रमुख प्रतीक स्वरूप अपनी कार में खुद ईंधन भरते नजर आए।     

कुमार ने संवाददाताओं को बताया, ’इस पेट्रोल पम्प में उन आठ सजायाफ्ता कैदियों को ईंधन भरने के काम पर लगाया गया है जिन्हें अच्छे आचरण के चलते खुली जेल में रखा गया है और जिनके कारावास की अवधि अगले एक-दो साल के भीतर खत्म होने वाली है।’  उन्होंने बताया कि जेल विभाग ने इंदौर में प्रायोगिक आधार पर पेट्रोल पम्प शुरू किया है और इसके संचालन में सफलता मिलने पर प्रदेश के अन्य शहरों में भी ऐसे पेट्रोल पम्प खोले जाने पर विचार किया जाएगा।     

पेट्रोल पम्प में ईंधन भर रहे सजायाफ्ता कैदियों में शामिल प्रताप सिंह (55) ने बताया कि उन्हें हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और यह सजा छह महीने बाद पूरी होने वाली है।     

रतलाम जिले से ताल्लुक रखने वाले कैदी ने बताया, ‘‘मैं अपने परिवार के साथ खुली जेल में रहता हूं। पेट्रोल पम्प पर रोजगार मिलने के कारण मेरे भावी जीवन की राह आसान हो गई है।’     

अधिकारियों ने बताया कि इस पेट्रोल पम्प का संचालन इंदौर स्थित केंद्रीय जेल कल्याण समिति करेगी और इससे मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया जाएगा।     

केंद्रीय जेल के अधीक्षक राकेश कुमार भांगरे ने बताया कि उन्होंने जेल विभाग के महानिदेशक से अनुरोध किया है कि पेट्रोल पम्प में काम पर लगाने के लिए उन्हें अच्छे आचरण वाले छह और सजायाफ्ता कैदियों की सेवाएं मुहैया कराई जाएं।  उन्होंने कहा, ’पेट्रोल पम्प में कैदियों को रोजगार देने से हमें उनके पुनर्वास में भी मदद मिलेगी।’ 

भाषा
इंदौर (मध्यप्रदेश)


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