चुनाव आयोग ने माना, पार्टी और चुनाव चिह्न पर अखिलेश का हक

Last Updated 17 Jan 2017 07:17:41 AM IST

सपा में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर चल रहे विवाद पर चुनाव आयोग ने अपने फैसले की मुहर लगा दी.


आयोग का फैसला आने के बाद पिता से मिलकर अखिलेश ने यह फोटो अपनी ट्विटर हैंडल पर डाला.

चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल पर अखिलेश यादव के दावे जायज ठहराया है. इसी के साथ अखिलेश यादव का सब कुछ हो गया. चुनाव आयोग के इस फैसले से जहां अखिलेश यादव गुट में जीत की लहर है, वहीं पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावे करने वाले मुलायम सिंह यादव को जोरदार झटका लगा है.

गौरतलब है कि पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई इस कदर बढ़ गई थी कि पिता मुलायम सिंह यादव और पुत्र अखिलेश यादव चुनाव आयोग तक पहुंच गए थे. चुनाव आयोग में दोनों पक्षों ने पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावे को लेकर अपने-अपने दावे और दलीलें दी थीं. दोनों पक्षों की ओर से चुनाव आयोग में नौ जनवरी तक अपने दावों के समर्थन में तमाम दस्तावेज जमा कराए गए थे. चुनाव आयोग ने 13 जनवरी को दोनों पक्षों के साथ करीब साढ़े चार घंटे तक सुनवाई की थी. इसके बाद पार्टी और चुनाव चिह्न पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

अखिलेश यादव गुट की ओर से पूरी लड़ाई की अगुवाई कर रहे प्रो. रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग में यह दस्तावेज पेश किए थे कि एक जनवरी को पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाया गया था. इसमें अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. उनके समर्थन में पार्टी के 90 फीसद एमएलए, एमएलसी और डेलीगेट्स थे. इसके विपरीत मुलायम सिंह ने यादव ने दावा पेश किया था कि एक जनवरी को प्रो. रामगोपाल यादव की ओर से बुलाया गया अधिवेशन अवैध था, क्योंकि प्रो. रामगोपाल यादव को 30 दिसम्बर को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.

चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों के दावे, दलीलों और दस्तावेजों का गंभीरता से अध्ययन करने और दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद अखिलेश यादव गुट को ही असली समाजवादी पार्टी माना है.

पिता से लिया ‘जीत’ का आशीर्वाद
चुनाव आयोग के फैसले के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव से ‘जीत’ का आशीर्वाद लिया, मगर चाचा शिवपाल सिंह यादव से दूरी ही रखी.
परिवार में ‘सियासी जंग’ लड़ रहे अखिलेश को सोमवार की शाम 6.15 बजे तब बड़ी राहत मिली, जब चुनाव आयोग ने उन्हें समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और ‘साइकिल’ निशान का अधिकारी घोषित किया. इसके बाद तो फिर अखिलेश एक मिनट की भी देर किए बिना सरकारी आवास से 4, विक्रमादित्य मार्ग स्थित घर को निकल पड़े. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पहले पत्नी डिम्पल के साथ खुशी के इन क्षणों को साझा किया.

वे तत्काल ही पिता मुलायम से भी मिलना चाहते थे, मगर तब तक वहां चाचा शिवपाल सिंह यादव जा चुके थे.
शिवपाल 6.57 पर अकेले ही मुलायम के घर गये. दस मिनट बात की और फिर अपने आवास लौट गये. शिवपाल के जाते ही अखिलेश पिता मुलायम के घर पहुंचे और उनके पैर छूकर ‘जीत’ का आशीर्वाद लिया. सूत्रों की मानें तो अखिलेश नेताजी (मुलायम) के साथ करीब आधा घण्टा तक रहे.

आयोग का फैसला सही
चुनाव आयोग ने सही निर्णय लिया इसलिए कि दूसरे खेमे (मुलायम सिंह यादव खेमा) के पास चुनाव चिह्न पाने के लिए जरूरी दस्तावेजी ताकत नहीं थी. आयोग के फैसले से मुख्यमंत्री अखिलेश बहुत खुश हैं. कांग्रेस के साथ गठबंधन के संबंध में जो भी निर्णय होगा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ही करेंगे. मगर मुझे गठबंधन की संभावना लगती है.’  - रामगोपाल यादव, सपा महासचिव

बेटे को आशीर्वाद दें मुलायम
‘मैं इस बात के लिए उन्हें को बधाई देता हूं. मुलायम सिंह यादव से इस बात की अपील करूंगा कि वह अपना आशीर्वाद अखिलेश को दें क्योंकि यह सिर्फ  उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि देश का चुनाव है. फिरका परस्त ताकतें सर उठाए खड़ी हैं और टूट का फायदा लेना चाहते हैं.’ - लालू प्रसाद यादव, अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनता दल

अखिलेश गुट से गठबंधन करेगी राकांपा

राकांपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सपा के अखिलेश गुट के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है. राकांपा महासचिव एवं सांसद तारिक अनवर ने बताया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए अखिलेश गुट के साथ चुनावी गठबंधन करेगी. अनवर ने कहा कि इस गठबंधन के लिए राकांपा के लिए सीटों का बंटवारा कोई मुद्दा नहीं है.

समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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