कौन बनेगा दिल्ली का CM: क्या शीला दीक्षित फिर पहनेगी ताज!
शीला दीक्षित भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य की मुख्यमंत्री हैं. इन्हें 17 दिसंबर, 2008 में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधानसभा के लिये चुना गया था.
![]() शीला दीक्षित (फाइल फोटो) |
शीला दीक्षित एक राजनीतिज्ञ हैं जो कि 1998 से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं.
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बद्ध हैं और दिल्ली में लगातार तीन बार कांग्रेस की सरकार बना चुकी हैं.
दिल्ली की विधानसभा में वे नई दिल्ली के एक विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.
शीला का जीवन
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था.
उन्होंने दिल्ली के जीसस एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा पाई और दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी.
उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था.
विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीलाजी एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद हैं.
जानिए शीला का राजनीतिक सफर
शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. इनका चुनाव-क्षेत्र नई दिल्ली है. परिसीमन गतिविधि से पहले इनका चुनाव-क्षेत्र गोल मार्केट था जो अब समाप्त कर दिया गया है.
2008 में हुए विधानसभा चुनावों मे शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटें जीतीं हैं.
राजनीति में आने से पहले वे कई संगठनों से जुड़ी रही हैं और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए.
1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रहीं. इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वे बाद में केन्द्रीय मंत्री भी रहीं.
वे दिल्ली शहर की महापौर से लेकर मुख्यमंत्री भी रहीं. वे फिलहाल मुख्यमंत्री होने के साथ इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की सचिव भी हैं.
रुचि
श्रीमती दीक्षित, हस्तकला और ग्रामीण कलाकारों और कारीगरों के उत्थान में विशेष रुचि लेतीं हैं.
ग्रामीण रंगशाला व नाट्यशालाओं का विकास, इनका विशेष कार्य रहा है. 1978 से 1984 के बीच, कपड़ा निर्यातकर्ता संघ (गार्मेंट्स एक्स्पोर्टर्स एसोसियेशन) के कार्यपालक सचिव पद पर, इन्होंने तैयार कपड़ा निर्यात को एक ऊंचे स्तर पर पहुंचाया है.
ये धर्म-निर्पेक्षता पर सदा अडिग रहीं हैं.
सदा ही सांप्रदायिक ताकतों का प्रत्येक स्तर से विरोध किया है. इनका मानना है, कि भारत में यदि जनतंत्र को जीवित रखना है, सही व्यवहार व सत्यता के मानदंडों का पालन करना जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिये.
विवादों से भी नाता
इसके साथ वे विवादों से भी जुड़ी रही हैं और उन पर भाजपा की एक नेत्री ने सरकारी राशि का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया था. यह मामला लोकायुक्त अदालत में है और इसका फैसला आने वाला है.
कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी उन पर इसी तरह के आरोप लगे थे.
जैसिका हत्याकांड के मुख्य आरोपी मनु शर्मा को पैरोल पर रिहा करने को लेकर भी उन पर आरोप लगे हैं.
दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात को चलती बस में गैंगरेप मामले को लेकर भी लोगों ने उनकी सरकार और पुलिस व्यवस्था की कड़ी आलोचना की और उन्हें इस तरह की घटनाओं के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार बताया है.
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