महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच बनते बनते रह गई बात, अब छोटे दल हुए नाराज
महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए भगवा गठबंधन विवाद सुलझते-सुलझते रह गया.
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सीटों के बंटवारे को लेकर मंगलवार सुबह दोनों दलों ने सहमति बनने के संकेत दिए.
भाजपा-शिवसेना के नेताओं ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि नए प्रस्ताव पर जल्द फैसला हो जाएगा.
पर देर रात ब्रांद्रा में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों की बैठक में छोटें दलों के नाराजगी के चलते एक बार फिर गठबंधन पर तलवार लटक गई है.
मंगलवार रात तक यह गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर मतभेदों को सुलझाने में विफल रहा.
छोटे दल उन्हें की गई काफी कम सीटों की पेशकश पर असहमति जता रहे हैं. छह विपक्षी दलों के गठबंधन 'महायुति' में मतभेदों के समाधान में उस समय रोड़ा आ गया जब खबर आई कि शिवसेना हालांकि भाजपा की 130 सीटों की मांग पर सहमत है, लेकिन उसने 151 सीटों की अपनी मांग से पीछे हटने से इनकार कर दिया.इस तरह छोटे सहयोगी दलों के लिए केवल सात सीटें ही बचती हैं.
सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के इस फॉर्मूले पर छोटे दलों के साथ-साथ बीजेपी भी सहमति नहीं जता रही है. बीजेपी का कहना है कि वह अन्य सहयोगियों से बात कर कोई फैसला लेगी.
शिवसेना और बीजेपी के सीनियर नेताओं ने मंगलवार दोपहर बाद एक बैठक के बाद घोषणा की कि दोनों दलों ने गठबंधन जारी रखने का फैसला किया है और सीट बंटवारे पर फैसला बाद में अन्य गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक में किया जाएगा.
आरपीआई (ए), आरएसपी, एसएसपी और शिवसंग्राम दलों के नेताओं ने नए फॉर्मूले का कड़ा विरोध किया और अधिक सीटों की मांग की जिससे गतिरोध खड़ा हो गया.महागठबंधन में रामदास आठवले की आरपीआई, राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, महादेव जानकर की राष्ट्रीय समता पक्ष और विनायक मेटे की शिव संग्राम शामिल हैं.
इन दलों नए फार्मूले पर नाराजगी जताई है. इन दलों के नेताओं ने साफ कह दिया है कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो वे महागठबंधन से बाहर होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे. देर रात तक सीटों को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी.
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